देहरादून। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग की सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। भारत-चीन सीमा से सटे चमोली उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ के 11 राजस्व गांव गैर आबाद हैं। ऐसे में आयोग ने पलायन आयोग ने रिवर्स पलायन के लिए प्रदेश सरकार को 45 सुझाव दिए हैं।

मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार

दरअसल, पलायन आयोग ने हाल ही में चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी के भटवाड़ी, चमोली जोशीमठ, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, धारचूला विकास खंड की 131 गांवों का सर्वे किया था। सर्वे में पाया गया कि वर्तमान समय में उत्तरकाशी के नेलांग और जादुंग राजस्व में गैर आबाद हैं। साथ ही चमोली में गुमकाना, लुम, खिमलिंग, सांगरी ढकधोना गांव और पिथौरागढ़ में सुम्तू, पोटिंग भी गैर आबाद हैं। वहीं अब आयोग ने इन क्षेत्रों की चिंता करते हुए प्रदेश सरकार को रिवर्स पलायन के लिए 45 सुझाव दिए हैं। सीमावर्ती गांवों में रोजगार के लिए मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाना चाहिए।

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कर्मचारियों को आवास के लिए विशेष प्रावधान

आयोग की मानें तो वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत आसपास के गांवों को क्लस्टर के रूप में विकसित करने की जरूरत है। सीमांत क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को आवास के लिए विशेष प्रावधान किया जाए। नेलांग व जादुंग के ग्रामीणों में अपने गांव जाने के लिए परमिट लेना पड़ता है। इसे व्यावहारिक किया जाए। साथ ही सीमावर्ती गांवों में सेब व अन्य बागवानी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। जिससे स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ सके। आयोग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि धारचूला, जोशीमठ, भटवाड़ी और मुनस्यारी ब्लॉक में कुल 20 स्वास्थ्य केंद्र है। इन केंद्रों में 11 डॉक्टरों तैनात है। स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने के कारण भी लोग पलायन करने को मजबूर हैं।

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