देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रतिष्ठित लेखक जय सिंह रावत द्वारा लिखित पुस्तक “उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास” का विमोचन किया। यह पुस्तक उत्तराखण्ड राज्य के राजनीतिक, प्रशासनिक एवं क्रमिक विकास की संपूर्ण और प्रामाणिक दस्तावेज़ी यात्रा को प्रस्तुत करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने राज्य के गठन के बाद की 25 वर्षों की राजनीतिक यात्रा को जिस सुसंगतता और प्रामाणिकता के साथ संकलित किया है, वह अत्यंत सराहनीय है।

लेखक ने उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया

मुख्यमंत्री आवास में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति और लोक परंपराओं पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन राज्य स्थापना के बाद की ढाई दशक की घटनाओं को तथ्यों, दस्तावेजों और विश्लेषण के आधार पर संग्रहित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे लेखक ने उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि पांच भागों में विभाजित यह पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।

इस कालखंड को सहेजने का कार्य किया

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड ने एक लंबा राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी देखा, जिसका प्रभाव विकास की गति पर पड़ा। उन्होंने कहा कि रावत ने इस संपूर्ण कालखंड का प्रामाणिक प्रस्तुतिकरण करते हुए दुर्लभ दस्तावेज़ों और अखबार की क्लिपिंग्स की मदद से एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संकलन तैयार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “इतिहास लिखना एक गंभीर दायित्व है, जिसमें तथ्य, दृष्टि और ईमानदारी का होना आवश्यक है। रावत ने पत्रकारिता की निष्ठा और निर्भीकता के साथ इस कालखंड को सहेजने का कार्य किया है।

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तकनीक का उपयोग आवश्यक

मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस तेज़ी से बदलते दौर में तकनीक का उपयोग आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही अपनी गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों को सुरक्षित रखना हम सभी का सामूहिक दायित्व है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में भाषा कंटेंट, साहित्य, और लोक परंपरा से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है तथा नई पीढ़ी के कंटेंट क्रिएटर के लिए इस दिशा में प्रतियोगिताएं आयोजित कर रही है | उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर स्थानीय भाषाओं में लेखन, गीत-संग्रह, शोध और डिजिटल कंटेंट तैयार करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन और सम्मान दिए जाने की दिशा में सरकार सतत प्रयासरत है।

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विद्यार्थियों को प्रोत्साहन और सम्मान दिए

उन्होंने कहा कि “भाषा, संस्कृति और रीति–रिवाज़ केवल अभिव्यक्ति के माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और विरासत की नींव हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनी बोली-भाषाओं का संरक्षण करें और आने वाली पीढ़ियों में इनके प्रति गर्व की भावना विकसित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की नई पीढ़ी को यह बताना बहुत ज़रूरी है कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कठिनाइयों और संघर्षों के बीच अपनी परंपराओं, सामाजिक मूल्यों और भाषा को बचाए रखा। उन्होंने कहा कि जब बच्चे अपनी जड़ों को समझते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास और सांस्कृतिक चेतना मजबूत होती है।

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इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे

पुस्तक पढ़ने की आदत पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि “AI कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, पुस्तकों को रिप्लेस करने का कोई अवसर नहीं है। पुस्तकें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि सोचने, समझने और सीखने की एक गहरी प्रक्रिया हैं। मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने घरों, विद्यालयों और समुदायों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दें तथा साहित्य और लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भाषा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई नई पहल प्रारंभ कर रही है और आगे भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

अधिक सशक्त रूप में आगे बढ़ेंगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय बोली-भाषाओं, साहित्य और पारंपरिक बोलियों के डिजिटलाइजेशन पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सांस्कृतिक खजाना सुरक्षित रहे और नई पीढ़ी आसानी से इन तक पहुँच सके। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यमों पर सामग्री उपलब्ध होने से हमारी मातृभाषाएँ न केवल संरक्षित होंगी, बल्कि आधुनिक समय के अनुरूप और अधिक सशक्त रूप में आगे बढ़ेंगी।