देहरादून. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में FDA आम जनता को स्वास्थ्यवर्धक व सुरक्षित भोजन मुहैया कराने को लेकर लगातार प्रयासरत है. मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि किसी भी स्थिति में जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस्तेमाल किए गए तेल का दोबारा उपयोग रोकने का अभियान केवल नियम लागू करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नागरिकों की सेहत बचाने का संकल्प है. उत्तराखण्ड ने RUCO को न सिर्फ सफल बनाया है, बल्कि इसे सामाजिक जागरूकता की मुहिम में बदलकर देश के सामने एक नया मानक स्थापित किया है. हम इस अभियान को और व्यापक रूप में आगे बढ़ाएंगे, ताकि स्वस्थ उत्तराखण्ड का लक्ष्य तेजी से हासिल किया जा सके.
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स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त FDA डॉ. आर. राजेश कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में हमारा लक्ष्य है कि एक बार इस्तेमाल होने वाला खाद्य तेल किसी भी हालत में खाद्य श्रृंखला में वापस न जाए. इसके लिए फूड बिजनेस ऑपरेटरों, होटलों, रेस्टोरेंट्स, ढाबों और सभी खाद्य कारोबारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. आम जनता भी अब इस मुद्दे के प्रति अधिक संवेदनशील हो रही है.
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अपर आयुक्त एफडीए ताजबर सिंह जग्गी के अनुसार 2018 की राष्ट्रीय बायोफ्यूल नीति इस समस्या से निपटने के लिए इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल को बायोडीज़ल में बदलने को प्रोत्साहित करती है. RUCO इसी नीति के अंतर्गत एक मजबूत आपूर्ति तंत्र विकसित कर रहा है. उत्तराखण्ड ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए अपने आप को मॉडल राज्य के रूप में स्थापित किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त एफडीए डॉ. आर. राजेश कुमार के नेतृत्व में राज्य ने इसे मिशन मोड में लागू किया. इस दौरान फूड बिजनेस ऑपरेटरों, एफडीए अधिकारियों, एग्रीगेटर, रीसायकलर, होटल-रेस्टोरेंट संचालकों, छात्र समूहों और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ व्यापक जन-जागरुकता अभियान चलाए गए हैं.
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अपर आयुक्त एफडीए ताजबर सिंह जग्गी के अनुसार 2019 में शुरू हुए RUCO मॉडल में जहां पहले चरण में महज 600 लीटर इस्तेमाल किया गया तेल एकत्र हुआ था, वहीं पांच वर्षों में यह संख्या बढ़कर 1,06,414 किलो तक पहुंच गई. 2025 की चारधाम यात्रा को भी इसी थीम पर आयोजित किया गया. इस दौरान कुल 1,200 किलो इस्तेमाल किया गया तेल एकत्र कर इसे बायोफ्यूल में परिवर्तित किया गया. उत्तराखण्ड खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन आगामी वर्षों में इस मुहिम को और तीव्र गति से आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. उत्तराखण्ड FDA अब इसे गढ़वाल और कुमाऊं में चरणबद्ध तरीके से लागू करने जा रहा है. मॉडल का लक्ष्य खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और उपयोग किए गए खाना पकाने के तेल के सुरक्षित पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना है.
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