देहरादून. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के मंत्रीगणों, विधायकगणों और अन्य जनप्रतिनिधियों से संवाद किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 सितंबर से देशभर में जीएसटी की नई दरें प्रभावी होंगी. उन्होंने इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि नई दरों का लाभ आम जनता और व्यापारिक समुदाय तक तीव्रता से पहुंचे, इसके लिए प्रदेश में व्यापक जनजागरुकता अभियान चलाया जाएगा. उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे 22 से 29 सितम्बर तक अपने-अपने क्षेत्रों में जागरुकता कार्यक्रमों का संचालन करें. इस दौरान प्रभारी मंत्री अपने-अपने जनपदों में और विधायकगण अपनी विधानसभाओं में अभियान का नेतृत्व करेंगे.

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मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जीएसटी की संशोधित दरों से प्रदेश की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी तथा “वोकल फॉर लोकल” और “लोकल टू ग्लोबल” की दिशा में राज्य को गति प्रदान होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के अंब्रेला ब्रांड “हाउस ऑफ हिमालयाज” और जी.आई. टैग प्राप्त 27 उत्पाद, एक जनपद दो उत्पाद योजना तथा अन्य स्थानीय हस्तशिल्प और कृषि उत्पाद को नए कर ढांचे से बढ़ावा मिलेगा. इससे स्वरोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की परिकल्पना को साकार करने में सहयोग मिलेगा.

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मुख्यमंत्री धामी ने सभी विभागों एवं निकायों को इस अभियान को सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं और नगर निकायों के स्तर पर बैठकों का आयोजन हो, जिसमें ग्रामीणों और शहरी क्षेत्र में लोगों को विस्तृत जानकारी दी जाए. साथ ही उद्योग विभाग को भी यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि जीआई टैग वाले उत्पादों और “एक जनपद दो उत्पाद” योजना को और अधिक सशक्त तथा बाज़ारोन्मुख बनाया जाए.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि जागरुकता अभियान केवल प्रचार तक सीमित न रहे, बल्कि इसमें आमजन की सहभागिता और जनभागीदारी भी सुनिश्चित हो. इसके लिए नुक्कड़ नाटकों, लोकगीतों तथा अन्य सांस्कृतिक माध्यमों का उपयोग किया जाएगा, जिससे संदेश लोगों तक सहज और प्रभावी ढंग से पहुंचे. उन्होंने कहा कि मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों का भी उपयोग कर आम नागरिकों और व्यवसायियों तक जानकारी पहुंचाई जाएगी. जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद न केवल व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों को इसका लाभ प्राप्त होगा. इससे स्थानीय स्तर पर उत्पादकता और विपणन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी और छोटे-छोटे उद्यमी भी राष्ट्रीय एवं वैश्विक बाजार से जुड़ सकेंगे.