देहरादून. मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में आज सचिवालय सभागार में परिवहन विभाग और संबंधित अधिकारियों द्वारा उत्तराखण्ड की “इलेक्ट्रिक वाहन (मैन्युफैक्चरिंग एंड परचेजिंग) पॉलिसी- 2025” का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया. इस दौरान राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल इकोसिस्टम तैयार करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही EV पॉलिसी के विभिन्न आयामों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई.

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मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रधानमंत्री के इलेक्ट्रिक वाहन के संबंध में 2030 तक के लक्ष्य के अनुरूप पॉलिसी में मैन्युफैक्चरर, उपभोक्ता और संचालक सभी के लिए बेहतर इंसेंटिव का प्रावधान शामिल करें, जिससे उत्तराखण्ड में ग्रीन परिवहन की अवधारणा को साकार हो तथा इलेक्ट्रिक वाहन का एक बेहतर इकोसिस्टम डेवलप हो सके.

सचिव विनय शंकर पांडेय और परिवहन विभाग द्वारा प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया गया कि उत्तराखण्ड में इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए इस पॉलिसी में मैन्युफैक्चरर से लेकर उपभोक्ता, संचालक और चार्जिंग स्टेशन स्थापना इत्यादि के लिए बेहतर इंसेंटिव का प्रावधान किया जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी में कार्बन क्रेडिट बेनिफिट के लिए प्रेरक इंसेंटिव, इंडस्ट्री साइड और उपभोक्ता साइड के लिए इंसेंटिव, कैपिटल सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी, ब्याज सब्सिडी, भूमि रिबेट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी इत्यादि सभी के लिए इंसेंटिव का प्रावधान की बात है. इसमें वाहन की अलग-अलग श्रेणी टू व्हीलर, थ्री व्हीलर, फोर व्हीलर, E बस इत्यादि के क्रम में इंसेंटिव का प्रावधान शामिल होगा. भारत में कुल वाहनों की संख्या 34 करोड़ है, जिसमें 61.65 लाख इलेक्ट्रिक वाहन शामिल है. उत्तराखण्ड में कुल वाहन 42,15,496 है, जिसमें कुल इलेक्ट्रिक वाहन 84,614 हैं.