हरिद्वार. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के द्वितीय दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों को सम्मानित किया. कार्यक्रम में कुल 1,454 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई. 62 शोधार्थियों को विद्या वारिधि और 3 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई, जबकि 615 विद्यार्थियों को परास्नातक और 774 विद्यार्थियों को स्नातक की उपाधि प्रदान की गई. इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन की विविध वनस्पतियों पर आधारित दो पुस्तकें ‘फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन’ एवं ‘मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ की प्रतिलिपियां भी भेंट कीं.
राष्ट्रपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं आशीर्वाद प्रदान किया. उन्होंने पदक प्राप्त विद्यार्थियों की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण में योगदान देने वाले अध्यापकों और अभिभावकों का भी विशेष अभिनंदन किया जाना चाहिए. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत बेटियां हैं और पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों की तुलना में चार गुना अधिक है. राष्ट्रपति ने कहा कि यह उपलब्धि विकसित भारत के उस स्वरूप का परिचायक है, जिसमें महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं.
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राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से स्वस्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. उन्होंने विश्वविद्यालय की भारत-केन्द्रित शिक्षा-दृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि इसमें विश्व बंधुत्व की भावना, वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समन्वय और वैश्विक चुनौतियों के समाधान जैसी विशेषताएं निहित हैं. उन्होंने विद्यार्थियों से वसुधैव कुटुंबकम् की भावना पर आधारित जीवन-मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया.
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान-प्राप्ति नहीं है, बल्कि सदाचार, तपस्या, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा जैसे जीवन-मूल्यों को आत्मसात करना भी है. उन्होंने विद्यार्थियों को न केवल आत्म-विकास बल्कि राष्ट्र-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया. गंगा तट पर स्थित हरिद्वार की सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह पवित्र स्थल ज्ञान और आध्यात्म का संगम है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी स्वाध्याय और तपस्या जैसे आदर्शों का पालन करते हुए स्वस्थ, संस्कारित और समरस समाज के निर्माण में भी योगदान देंगे.
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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करते हुए उनके देवभूमि आगमन को गर्व का क्षण बताया. राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का प्राण-केंद्र है. इस पवित्र धरती से प्रचलित योग और आयुर्वेद की परंपरा ने न केवल भारत को, बल्कि समूचे विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सद्भाव का संदेश दिया है. उत्तराखण्ड की यह ऋषि-परंपरा आज भी हमें यह प्रेरणा देती है कि ज्ञान का सर्वोच्च उद्देश्य केवल आत्म-विकास नहीं, बल्कि विश्व-कल्याण है.
राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त की कि वे आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करेंगे. उन्होंने कहा कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने राष्ट्र, प्रदेश और समाज की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे तथा अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं प्रशिक्षण का उपयोग मानव-कल्याण के लिए करेंगे.
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राज्यपाल ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने जो ज्ञान अर्जित किया, वह केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण के लिए था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकृति दिलाकर योग के विज्ञान पर किए गए हजारों वर्षों के कार्य को वैश्विक मंच प्रदान किया. विगत कुछ वर्षों में योग और आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आई है, और आज करोड़ों लोग इनके माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं.
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