लखनऊ. राजधानी लखनऊ में बैंकों से कर्ज लेकर जहां अच्छा कारोबार संवारने और चलाने के लिए लिया. कारोबारियों को जमीन से आसमान तक पहुंचाया तो कई ऐसे भी हैं जो एक-एक पैसे को मोहताज हो गए. बैंकों की किस्त समय पर जमा न होने पर कर्ज से बचने के लिए कई कारोबारी घर-परिवार छोड़कर लापता हो गए तो कइयों ने परिवार संग खुदकुशी कर ली. अब इनके घरवाले आंसू बहा रहे हैं. आलम यह है कि मकान-दुकान तक बिक गई. बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई. चौक क्षेत्र के अशरफाबाद की गलियां ऐसी तमाम जीवंत कहानियों का दर्द समेटे हैं, जो शोभित रस्तोगी की तरह आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.
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गौर करें तो इससे पहले वर्ष 2013 में चौक क्षेत्र में रहने वाले सर्राफा कारोबारी अमित अग्रवाल भी कर्ज में इस कदर डूबे कि वह अपनी पत्नी अंकिता और दो बच्चों को साथ लेकर लापता हो गए. 15 दिसंबर 2013 को उनकी पत्नी अंकिता व बच्चों के शव उड़ीसा के पूरी क्षेत्र स्थित एक होटल में मिले थे, जबकि अमित अग्रवाल गायब थे और आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि अमित अग्रवाल कहां हैं. कुछ साल पहले की बात करें तो एक दिन में लाखों रुपए के वारे-न्यारे करने की चाहत कुछ कारोबारी व्यापार से जुड़े लोगों को डब्बा कारोबार, एमसीएक्स या सट्टेबाजी की खींच लेती है.
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इसी तरह कुछ कारोबारी व्यापार बढ़ाने के लिए बैंकों से कर्ज लेकर कारोबार तो किया, लेकिन समय पर किस्त न जमा होने पर वही कारोबारी अर्श से फर्श पर आ गिरा, नतीजतन वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है. उदाहरण के तौर पर गौर करें तो 30 जून 2025 को कर्ज के बोझ तले डूबे चौक के अशरफाबाद निवासी कपड़ा कारोबारी शोभित रस्तोगी खुद और पत्नी बेटी को जहरीला पदार्थ खाकर और खिलाकर हमेशा के लिए जीवन लीला समाप्त कर ली.
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कारोबार में घाटा होने पर सिर्फ रस्तोगी ही नहीं इससे पहले कइयों कारोबारियों ने परिवार सहित खुदकुशी कर घर-परिवार को टीस देने के लिए मजबूर कर दिया. वर्ष 2021- मड़ियांव क्षेत्र के अलीगंज सेक्टर क्यू निवासी इलेक्ट्रॉनिक सामानों के कारोबारी मैथ्यू जोसेफ ने पत्नी लूसी मैथ्यू ने कर्ज में डूबने के बाद खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.
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27 जुलाई 2022- जानकीपुरम निवासी नलकूप विभाग में जेई के पद कार्यरत शैलेन्द्र कुमार ने पत्नी गीता व बेटी प्राची को जहरीला पदार्थ खिलाकर आत्महत्या कर ली. वर्ष 2021- मड़ियांव क्षेत्र के फैजुल्लागंज में रहने वाले दंपति ने सूदखोर से परेशान होकर जान दे दी. 9 अक्टूबर 2023- डॉ प्रदीप वर्मा कर्ज से परेशान होकर जान दे दी. यह तो महज बानगी भर है इससे पहले भी कर्ज के बोझ तले डूबे कइयों लोग अपनी जान दे चुके हैं.
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