देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने रजिस्ट्री शुल्क को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रमोद को लूटकर पुष्कर को भुगतान—बस यही है रजिस्ट्री शुल्क की नई कहानी। अब उत्तराखंड में पचास गज खरीदो या पचास हज़ार गज—रजिस्ट्री शुल्क एक बराबर। तर्क दिया जा रहा है कि इससे रजिस्ट्री कार्यालयों का रख-रखाव होगा। सच यह है कि सरकार ने अमीरों के हितों की चौकीदारी और आम लोगों की जेब काटने को ही नया मॉडल बना लिया है।

आम बाशिंदों पर आर्थिक प्रहार है

यशपाल आर्य ने कहा कि संशोधित भू-क़ानून में पहले ही नगर निगमों और नगर पंचायतों को छूट देकर भू–माफ़ियाओं के लिए खुली छूट दे दी गई है। अब यह नया रजिस्ट्री शुल्क—सीधे-सीधे पहाड़ के आम बाशिंदों पर आर्थिक प्रहार है।
स्वास्थ्य, रोजगार और शिक्षा की हालत पहले ही चरमराई हुई है, पलायन थम नहीं रहा… ऊपर से शहरों में ज़मीन ख़रीदना भी अब पहाड़ के मूल निवासियों के लिए लगभग नामुमकिन बना दिया गया है।

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यशपाल आर्य ने आगे कहा कि हल्द्वानी, देहरादून, श्रीनगर, टिहरी जैसे शहरों में पचास-सौ गज पर अपनी छोटी-सी कुटिया बनाने का हक भी सरकार ने और मुश्किल कर दिया है। यह पूरा नियम ही जनविरोधी है—इसे सिरे से खारिज होना चाहिए। करोड़ों के भव्य आयोजनों पर फ़िज़ूलख़र्ची, और बाहरी मीडिया पर एक हज़ार करोड़ रुपये लुटाकर सरकार अब आम आदमी की कमर तोड़कर खामियाज़ा वसूलना चाहती है।