ULFA Peace Accord: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA), केंद्र और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौते पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किये गए हैं. 40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा से भारत और असम सरकार के नुमाइंदे के बीच शांति समाधान समझौता मसौदे पर हस्ताक्षर हुआ है. इस संबंध में दिल्ली में असम के सीएम हिमंता बिस्व शरमा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के डीजीपी भी मौजूद रहे.
इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है. लंबे समय तक असम और पूरे उत्तर-पूर्व ने हिंसा झेली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ही उग्रवाद, हिंसा और विवाद मुक्त उत्तर-पूर्व भारत की कल्पना लेकर गृह मंत्रालय चलता रहा है. भारत सरकार, असम सरकार और ULFA के बीच जो समझौता हुआ है, इससे असम के सभी हथियारी गुटों की बात को यहीं समाप्त करने में हमें सफलता मिल गई है. ये असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में असम की शांति प्रक्रिया निरंतर जारी है.
उल्फा का 1979 में हुआ था गठन
अलगाववादी संगठन उल्फा का गठन अप्रैल 1979 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से आए बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के खिलाफ आंदोलन के बाद हुआ था. फरवरी 2011 में यह दो समूहों में विभाजित हो गया था और अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले गुट ने हिंसा छोड़ दी थी. यह गुट बिना शर्त सरकार के साथ बातचीत के लिए सहमत है. दूसरे उल्फा गुट का नेतृत्व करने वाले परेश बरुआ बातचीत के खिलाफ हैं. वार्ता समर्थक गुट ने असम के मूल निवासियों की भूमि के अधिकार समेत उनकी पहचान और संसाधनों की सुरक्षा के लिए सुधारों की मांग की है.
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