अमृतांशी जोशी,भोपाल। पूर्व CM मंत्री उमा भारती (Uma Bharti tweet) अपने ट्वीट को लेकर एक बार फिर चर्चा में है. उन्होंने अपने मन की व्यथा व्यक्त करने के लिए एक के बाद एक 41 ट्वीट किए. ट्वीट में उनकी पीड़ा देखी जा सकती है. उमा ने ट्वीट के जरिये इस बात को सार्वजनिक किया कि गंगा सफ़ाई अभियान मंत्री होने के दौरान कैसे उनसे ये विभाग छीना गया था.
41 ट्वीट कर लिखा गंगा की अविरलता को बचाने के लिए मैंने अनुशासनहीनता ही की थी. फिर तो जो होना था वही हुआ, अनुशासनहीनता तो की ही थी और इसलिए जब नई राष्ट्रीय कार्य समिति घोषित हुई तो मैं उसमें सदस्य तो थी किन्तु पदाधिकारी नहीं थी, लेकिन मुझे कोई रंज ही नहीं है. इसे अपना रिपोर्ट कार्ड बताते हुए कहा कि सभी से अनुरोध है कि आप उसे मेरे जीवन का रिपोर्ट कार्ड मानकर पढ़ लेने का समय निकालें.
मध्यप्रदेश में शराब के खिलाफ छेड़ी जंग
(Uma Bharti tweet) उमा ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि अब मध्यप्रदेश में शराब के खिलाफ मैंने मुहिम छेड़ी है जो कि पार्टी की नीति के अनुसार है और भाजपा शासित राज्यों में एक जैसी शराब नीति हो, यह मेरा आग्रह है. मैं गुरू पूर्णिमा से रक्षा बंधन तक अपने जन्म से लेकर अभी तक के सभी महत्वपूर्ण प्रसंग आपसे शेयर करूंगी. अभी से लेकर अक्टूबर तक मैं अकेले ही शराब की दुकानों एवं अहातों के सामने खड़ी हूंगी फिर अक्टूबर में गांधी जयंती पर भोपाल की सड़कों पर महिलाओं के साथ मार्च करूंगी.
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कैसे बदला विभाग
ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल संसाधन तीनों मंत्रालयों की गंगा की अविरलता पर सहमति नहीं बन पा रही थी विश्व के, भारत के सभी पर्यावरण विशेषज्ञों की राय व अरबों गंगा भक्तों की आस्था दांव पर लगी थी. उन सबकी राय में हिमालय, गंगा एवं उसकी सहयोगी नदियों पर प्रस्तावित 72 पॉवर प्रोजेक्ट गंगा, हिमालय और पूरे भारत के पर्यावरण के लिए संकट का विषय थे. (41 ट्वीट) मैंने और मेरे गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया. उस एफिडेविट पर ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रालय और उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत जी की सरकार ने अपनी असहमति दर्ज की, फिर कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार से परामर्श करके उस एफिडेविट को अमान्य कर दिया.
(Uma Bharti tweet)
(Uma Bharti tweet) उन्होनें लिखा- वह तो आज भी कोर्ट की सम्पत्ति है और शायद केंद्र की सरकार उसके विपरीत नया एफिडेविट पेश नहीं कर पाई है, स्वाभाविक है कि मैंने अनुशासनहीनता की, मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था, लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई. गृहमंत्री अमित शाह जो हमारे उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, वह गंगा की अविरलता के पक्ष में हमेशा रहे. उन्हीं के हस्तक्षेप से मुझे निकाला नहीं गया, किंतु विभाग बदल दिया गया, इतना तो होना ही था.
विभाग नितिन गडकरी के पास पहुंचा और उन्होंने मुझे कभी गंगा से अलग नहीं किया. मुझे गंगा से जोड़े रखने की राह वह निकालते रहे जिस पर अमित शाह का भी समर्थन रहा. अमित जी अब केंद्र में गृहमंत्री हैं किन्तु तब वह पार्टी के अध्यक्ष थे और उन्हीं की बात मानकर मैंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था.
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