शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने बुरहानपुर जिले के लगभग 8 हजार आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल ना करने की मांग की है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी आदिवासी पट्टों को लेकर इसी तरह के हालात निर्मित होने की जानकारी भी दी हैं। वहीं 15 दिन में प्रकरणों का निराकरण ना होने पर जन आंदोलन की चेतावनी दी है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पीएम नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेधश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा कि ‘जिला बुरहानपुर के विधानसभा क्षेत्र नेपानगर के अंतर्गत धूलकोट में ज्ञापन भेंटकर अवगत कराया है कि हजारों आदिवासी परिवारों को उनकी भूमि से अवैध रूप से बेदखल किया जा रहा है, साथ ही वन अधिकार अधिनियम 2006 तथा वन अधिकार अधिनियम 2007 के नियम 12 ए (6) तथा 13 का उल्लंघन किया गया है।’
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अन्य आदिवासी जिलों में भी ऐसे ही हालात- नेता प्रतिपक्ष
वन विभाग वन अधिकार के दावेदारों को प्रताड़ित कर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा 40 गांव के लगभग 8000 से अधिक दावे खारिज कर आदिवासियों को खेती करने से रोका जा रहा है। उनके टैक्टर, बैल, कृषि यंत्र छीने जा रहे है जबकि पीढ़ियों से काबिज़ है। इन्हें पूर्ण अवसर प्रदान नहीं किया गया है न ही इन्हें सुनवाई का अवसर दिया गया है । ग्राम सभा का अनुमोदन भी नहीं लिया गया है। यही स्थिति प्रदेश के अन्य आदिवासी जिलों में निर्मित हुई है।
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आंदोलन की दी चेतावनी
सिंघार ने आगे लिखा- उल्लेखनीय है कि आदिवासियों के पूर्वजों की जमीन उनके परिवार के नाम नामांतरित नहीं की जा रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024 तक आदिवासियों द्वारा किये गये 6.5 लाख वन अधिकार दावों में से 3.00 लाख से ज्यादा दावे बिना स्पष्ट कारण के खारिज कर दिये। यह वन अधिकार कानून का उल्लंघन है। प्रकरण अत्यन्त ही गंभीर स्वरूप का है किसी भी स्थिति में आदिवासियों को उनके हक से वंचित नहीं किया जा सकता है। अतः आपसे निवेदन है कि 15 दिवस के भीतर इन प्रकरणों का निराकरण कराएं अगर निराकरण नहीं होता है तो जनहित में तथा आदिवासियों के हक में हमें आंदोलन करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा।

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