विकास कुमार, सहरसा। सहरसा सदर अस्पताल से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को वर्ल्ड क्लास हेल्थ सिस्टम बताने वाले नेताओं की पोल खोल रही है। दरअसल जिलें में दो अलग-अलग ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मृतक के परिजनों को एंबुलेंस नहीं मिलने पर उन्हें शवों को अपने कंधे और स्ट्रेचर पर रखकर पोस्टमॉर्टम हाउस जाना पड़ा।
पहला मामला पतरघट थाना क्षेत्र का है, जहां छोटे लाल यादव के परिजन एम्बुलेंस न मिलने के कारण करीब 600 मीटर पैदल चलते हुए शव को कंधे पर उठाकर पोस्टमॉर्टम रूम तक ले गए। एंबुलेंस नहीं मिलने पर परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाया है।
वहीं, दूसरा मामला बिहार पुलिस के हवलदार राजेंद्र प्रसाद सिंह का है, जिनका शव सहरसा स्टेशन पर मिला था। जब उनके शव को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाने के लिए फोन किया गया तो, अस्पताल से एंबुलेंस चालक मौजूद नहीं होने की बात कहकर एंबुलेंस भेजने से इंकार कर दिया गया। जिसके बाद परिजनों ने स्ट्रेचर पर शव को रख उसे ढकलते हुए पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचे।
परिजनों ने इसे अमानवीय लापरवाही बताया है और सरकार से एंबुलेंस व्यवस्था को सुधारने की मांग की। वहीं, इस मामले पर अस्पताल प्रशासन ने कहा कि, एंबुलेंस डायल-102 सिस्टम से ही उपलब्ध होती है। कुछ भी हो इन दोनों घटनाओं ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलते हुे कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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