सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में बेलगाम अफसरशाही का अजब कारनामा सामने आया है। जहां लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के तत्कालीन प्रबंध संचालक डॉ. दिलीप कुमार (आईएफएस) ने सरकारी खर्चे पर तीन किताबें अपने नाम से प्रकाशित करवा लीं। इन किताबों के प्रकाशन पर खर्च हुए करीब 22 लाख रु. का भुगतान लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र से करवा दिया।

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यह जानकारी शुक्रवार को विधानसभा में विधायक नारायण पट्टा के सवाल के जवाब में वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने दी। यह भी बताया कि भुगतान के लिए शासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। इस मामले में कार्रवाई की जा रही है। हैरानी वाली बात तो यह है कि सरकारी खर्चे पर प्रकाशित इन किताबों का कॉपीराइट भी लघु वन उपज की बजाय अफसर के पास ही है।

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मिली जानकारी के अनुसार लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के तत्कालीन प्रबंध संचालक डॉ. दिलीप कुमार ने ये तीनों ही किताबें एक निजी पब्लिशर से प्रकाशित कराई थी। साल 2022-23 में आईएफएस अफसर ने इन किताबों का प्रकाशन कराया था, जिसमे 22 लाख रुपए खर्च हुए थे, जो सरकारी खजाने से किया गया। लेकिन इसकी शासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।   

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