रायपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. आबकारी एक्ट के तहत जलों में बंद किये गए आदिवासी जल्दी रिहा हो सकते है. आदिवासियों पर दर्ज प्रकरणों की समीक्षा के लिए गठित विशेष समिति ने बैठक में निर्णय लिया है कि आबकारी एक्ट के तहत दर्ज सभी प्रकरण समाप्त किये जाएं, इसके लिए समिति सरकार से अनुशंसा करेगी.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक की अध्यक्षता में हुई बैठक में बुधवार को हुई बैठक में समीक्षा की गई. समीक्षा बैठक में आबकारी एक्ट के मामलों पर विचार विमर्श हुआ. आदिवासियों के ऊपर बड़ी संख्या में ज्यादा शराब रखने के मामले भी दर्ज हैं. बैठक में निर्णय लिया गया कि चूंकि आदिवासियों को नियम व कानून की ज्यादा जानकारियां नहीं है, इसलिए ऐसे प्रकरणों में उन्हें राहत मिलनी चाहिए. माना जा रहा है कि प्रदेश में ऐसे हजारों की संख्या में आदिवासियों के खिलाफ मामले दर्ज हैं वहीं आबकारी एक्ट के तहत बड़ी संख्या में जेलों में भी बंद है.

बताया जा रहा है कि समिति की अगली बैठक में नक्सल मामलों पर विचार विमर्श हो सकता है. गौरतलब है कि हजारों की संख्या में ऐसे आदिवासी जेल में बंद है जिन पर नक्सल समर्थक होने के आरोप हैं, इसके साथ ही आरोप यह भी है कि हजारों की संख्या में बेगुनाह आदिवासियों को नक्सली होने के फर्जी मामलों में गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया है.