मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर शुरू की गई छत्तीसगढ़ की महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना ने अपनी शुरुआत के साथ ही प्रदेश में एक नई आर्थिक-समाजिक क्रांति का आगाज किया. बहुत कम समय में इस योजना ने अपनी महत्ता और सार्थकता साबित कर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है. इस अनूठी योजना ने लोगों को अतिरिक्त आय का जरिया दिया और साथ ही महिलाओं को विशेष रूप से रोजगार के अवसर दिए है. छत्तीसगढ़ शासन इस योजना के तहत पशुपालकों से गोबर खरीद रही है. इस गोबर से गौठानों में स्व सहायता समूहों के द्वारा वर्मी खाद बनाई जा रही है. इस वर्मी खाद के विक्रय से समूहों को जो लाभ हो रहा है और उससे उनके जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है और इस बदलाव की प्रत्यक्ष गवाह है स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ की महिलाएं.
राज्य के नवीन जिले मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के अंतर्गत जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ के शहरी गौठान में वर्मी खाद निर्माण में संलग्न स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ का टर्नओवर 1 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. वर्ष 2020 में योजना के शुभारंभ के साथ ही गौठान में गोबर खरीदी का कार्य शुरू हुआ. आज इस संघ द्वारा 100312 क्विंटल वर्मी खाद विक्रय किया जा चुका है जिसकी राशि 1 करोड़ 32 हजार रुपये है. इसमें समूह का शुद्ध लाभ 36.73 लाख रुपये है.
गोधन न्याय योजना से खरीदी अपनी टू व्हीलर
पूरे जिले में सर्वाधिक वर्मी खाद उत्पादन करने वाले विकासखण्ड मनेन्द्रगढ़ की स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ की सदस्य सविता दास बताती हैं कि जब गोधन न्याय योजना शुरू हुई तो शहर के गौठान में समूह के रूप में जुड़कर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का कार्य शुरू किया. जैसे-जैसे उत्पादन और विक्रय से लाभ मिला, लोगों का हमारे प्रति नजरिया बदलने लगा. इस योजना से हमें स्वरोजगार का जरिया मिला है और वर्मी खाद विक्रय से जो लाभांश मुझे मिला उससे मैंने टू व्हीलर गाड़ी खरीदी है. सविता मुस्कुराते हुए कहती हैं कि मैं अपनी गाड़ी से गौठान आती हूं.
समूह की उपाध्यक्ष प्रेमलता भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस महती योजना के लिए धन्यवाद देती हैं. समूह की अध्यक्ष प्रीति टोप्पो बताती हैं कि उन्हें मिले लाभांश से उसने बहन की शादी में कुछ कर्ज लिया था, वो इस पैसे से छूट गया. बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए साइकिल लेकर दी और घर के लिए टीवी भी ले लिया. घर के लोग पहले घर में टाइम ना दे पाने के कारण थोड़ा नाराज थे, पर अब आय देखकर खुश हैं. सदस्य अगस्तिना एक्का बताती हैं कि पति के देहांत के बाद परिवार को आर्थिक दिक्कतें हुई पर अब वे परिवार को सहारा देने के लिए गौठान में काम कर रही हैं. उनकी टू व्हीलर लेने की इच्छा है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वे अपनी गाड़ी ले सकेंगी.
आत्मनिर्भरता का मिला रास्ता
इस समूह में 73 महिलाएं हैं. यानी सीधे-सीधे 73 महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हैं. गौठान में वर्मी कंपोस्ट खाद उत्पादन के काम से जुड़ी कोई महिला निर्धन परिवार से है, तो किसी ने घर से बाहर निकलकर कभी काम नहीं किया. इस काम से हुई कमाई ने उन्हें अपने परिवार का मजबूत स्तंभ बनाया है. उन्हें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का रास्ता भी दिखाया है.
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