
रायपुर। छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है. छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन ‘राजिम कुम्भ’ है, जिसे ‘पुण्य सलिला त्रिवेणी संगम’ के तट पर आयोजित किया जाता है. यह आयोजन छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व को दिखाता है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राजिम कुंभ के व्यापक विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे यह आयोजन और अधिक भव्यता और सुव्यवस्था के साथ सम्पन्न हो सका है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को संजोने एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं. इन्हीं प्रयासों के तहत छत्तीसगढ़ के ‘राजिम कुंभ’ को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रभावी नेतृत्व और रणनीतिक फैसलों के चलते अब यह आयोजन केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं, संतों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के प्रयागराज कहे जाने वाले राजिम में आयोजित कुंभ कल्प के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि “राजिम कुंभ कल्प आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है. राजिम कुंभ कल्प का आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक समरसता का महापर्व है. यहां माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक हजारों श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान करते हैं और संत महात्माओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. राजिम कुंभ कल्प को भव्यता प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने हर संभव प्रयास किए हैं”

राजिम कुंभ: छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक धार्मिक मेला
राजिम कुंभ, जिसे ‘राजिम माघी पुन्नी मेले’ के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है. यह कुंभ राजिम, जिसे ‘छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी’ कहा जाता है, में हर साल माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक आयोजित किया जाता है .यह कुंभ महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के संगम पर आयोजित होता है, जो छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला माना जाता है. यहां श्रद्धालु पुण्य स्नान करने के लिए आते हैं और साधु-संतों के प्रवचनों का लाभ उठाते हैं. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कुंभ को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए कई अहम कदम उठाए, जिससे यह आयोजन अब देशभर में प्रसिद्ध हो गया है.

राजिम कुम्भ संतों, महंतों, श्रद्धालुओं एवं साधकों के लिए एक दिव्य संगम स्थल है. यह धार्मिक मेला न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है. राजिम कुम्भ के समापन के अवसर में राज्य के मुखिया ने अपने सम्बोधन में कहा था कि “इस आयोजन से राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान मिल रही है. हमारी सरकार ने राजिम कुंभ कल्प की भव्यता को पुनः स्थापित किया है और इसे और भी भव्य स्वरूप देने के लिए संकल्पबद्ध है. वर्ष 2005 में राजिम कुंभ कल्प की शुरुआत हुई थी, जिसे छत्तीसगढ़ की जनता का आशीर्वाद और संतों का सानिध्य निरंतर मिलता रहा है. पिछले कुछ वर्षों में इस आयोजन में कुछ बाधाएं आई थीं, लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता ने 2023 में पुनः आशीर्वाद देकर सरकार को सशक्त बनाया, जिससे यह महाकुंभ अपने परंपरागत स्वरूप में लौटा. अब 54 एकड़ भूमि में इस मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिससे इसकी भव्यता और व्यवस्थाओं में विस्तार हुआ है. उनकी सरकार इस आयोजन को और अधिक संगठित और भव्य बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है”

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राजिम कुंभ के उत्थान के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
- राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार
राजिम कुंभ को छत्तीसगढ़ के बाहर भी पहचान मिले, इसके लिए सरकार ने डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार अभियान चलाया. सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो और समाचार पत्रों में इस आयोजन को प्रमुखता से प्रचारित किया गया, जिससे देशभर से श्रद्धालु और पर्यटक आकर्षित हुए.

- संत महापुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित करना
पहले यह कुंभ स्थानीय संतों और श्रद्धालुओं तक ही सीमित था, लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रयासों से अब इसमें काशी, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों से संतों को आमंत्रित किया जाने लगा है. मुख्यमंत्री ने इस आयोजन में धार्मिक प्रवचनों, संत समागम, योग शिविर और भजन संध्या जैसे कार्यक्रमों को भरपूर बढ़ावा दिया है. सीएम साय ने देशभर से प्रसिद्ध संतों, महंतों और धार्मिक गुरुओं को आमंत्रित कर प्रवचन एवं आध्यात्मिक चर्चाओं का आयोजन कराया. इसके कारण राजिम कुंभ को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा मिली है और इसे एक भव्य आध्यात्मिक आयोजन के रूप में देखा जाने लगा है.
- राजिम कुंभ को राष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाना
राज्य सरकार ने राजिम को एक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई। इसके तहत—
- कुंभ स्थल पर आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास किया गया.
- श्रद्धालुओं के लिए आवास, भोजन और यातायात की बेहतर सुविधाएं प्रदान की गईं.
- धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अधिक व्यवस्थित और भव्य बनाया गया.
- मेले में आध्यात्मिक संगोष्ठियों और प्रवचनों का आयोजन किया गया.
- आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करना
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने इस कुंभ को सिर्फ धार्मिक आयोजन तक सीमित न रखते हुए इसे छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान से भी जोड़ा. लोक नृत्य, नाट्य प्रस्तुतियों, चित्र प्रदर्शनी और छत्तीसगढ़ी कला एवं संस्कृति के प्रदर्शन को भी प्रमुखता दी गई. मुख्यमंत्री साय ने कहा कि “राजिम कुंभ कल्प में राष्ट्रीय और आंचलिक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने इस आयोजन को और भी भव्य बनाया. राजिम कुंभ कल्प मेला-स्थल को और अधिक सुविधाजनक और व्यवस्थित बनाया जा रहा है. सरकार आने वाले वर्षों में मेला क्षेत्र के विस्तार और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान देगी. राजिम कुंभ कल्प हमारी आस्था, संस्कृति और सामाजिक समरसता का पर्व है. यह आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और हमारी सनातन संस्कृति को जीवंत बनाए रखता है”. राजिम कुंभ में लोक कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर दिया गया. पारंपरिक लोकनृत्य, नाटक और भजन संध्या का आयोजन किया गया. छत्तीसगढ़ी व्यंजनों और हस्तशिल्प को प्रोत्साहित किया गया.
- संगम स्थल का विकास और सौंदर्यीकरण
राजिम संगम क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया गया, जिससे श्रद्धालु और पर्यटक बेहतर अनुभव प्राप्त कर सकें. राज्य सरकार ने घाटों के पुनर्निर्माण, स्वच्छता अभियान और प्रकाश व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया, जिससे कुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो.
- सुरक्षा और सुविधा का पुख्ता इंतजाम
राजिम कुंभ में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए—
विशेष बसों की व्यवस्था की गई.
चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ किया गया.
कुंभ स्थल पर सीसीटीवी निगरानी और पुलिस बल की तैनाती की गई.
राजिम कुम्भ के आयोजन से स्थानीय पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा दिया गया. मुख्यमंत्री ने इस मेले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अनेक प्रयास किए. स्थानीय व्यापारियों एवं कारीगरों को मेले में अपनी वस्तुओं का प्रदर्शन और बिक्री करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार के द्वारा राजिम कुम्भ के आयोजन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर विशेष ज़ोर दिया गया. महानदी, सोंढूर और पैरी नदियों के जल की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए विशेष सफाई अभियान चलाए गए. प्लास्टिक के उपयोग को प्रतिबंधित कर पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों को बढ़ावा दे कर कुम्भ के मेले को प्लास्टिक मुक्त रखने की पूरी कोशिश की गई. कुम्भ क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया.
राजिम कुंभ के राष्ट्रीय पहचान बनने के प्रमुख लाभ
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल से राजिम कुंभ को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिलने के कई लाभ हुए—
छत्तीसगढ़ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बढ़ा – यह आयोजन अब छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान बन चुका है.
पर्यटन को बढ़ावा मिला – राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि मिलने से छत्तीसगढ़ में धार्मिक पर्यटन को नई ऊंचाइयां मिलीं.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली – राजिम कुंभ के दौरान स्थानीय दुकानदारों, कलाकारों, होटल व्यवसायियों और अन्य व्यापारियों को आर्थिक लाभ हुआ.
छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली – यह आयोजन अब हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक जैसे अन्य कुंभों की तरह चर्चित होने लगा है.
भविष्य की योजनाएं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार अब राजिम कुंभ को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की योजना बना रही है। इसके तहत—
विदेशी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रचार अभियान चलाए जाएंगे.
अंतरराष्ट्रीय संतों और आध्यात्मिक गुरुओं को आमंत्रित किया जाएगा.
घाटों और धार्मिक स्थलों के विकास को और सशक्त बनाया जाएगा.
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राजिम कुंभ अब छत्तीसगढ़ तक सीमित न रहकर राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिष्ठित धार्मिक आयोजन बन चुका है. उनकी सरकार के प्रयासों से यह आयोजन अब सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन रहा है. आने वाले वर्षों में यह कुंभ न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर का अभिन्न अंग बन सकता है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा राजिम कुंभ के विकास के लिए उठाए गए कदमों ने इस आयोजन को विराट और सुव्यवस्थित बना दिया है. उनकी दूरदर्शी नीतियों एवं योजनाओं से न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती मिली है, बल्कि पर्यटन, अर्थव्यवस्था, संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिला है. प्रदेश की जनता को भी यही उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भी यह आयोजन इसी तरह अपनी महिमा, गरिमा और भव्यता के साथ आगे बढ़ता रहेगा.
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