सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। कोरोना संकट और लॉक डाउन की वजह से देश भर में बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। बेरोजगारी और गरीबी का असर अब सड़कों पर भी देखने को मिल रहा है। राजधानी रायपुर की सड़कों में जगह-जगह भिक्षा मांगते बड़ों के साथ ही नाबालिग भी नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि छोटे-छोटे दुधमुंहे बच्चों को गोद में लेकर उनकी माताएं भी इस कार्य में लगी हुई हैं।

छोटे बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने के मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी अशोक पाण्डेय ने बताया कि भिक्षावृत्ति बच्चों से करवाया जाना जेजे एक्ट में प्रतिबंधित है यह एक अपराध है। इसे लेकर कलेक्टर ने जिला स्तर पर एक टाक्सफोर्स का गठन किया है। टाक्सफोर्स के माध्यम से ऐसे बच्चे या ऐसी महिला जो गोद में बच्चे को लेकरभीख मांगती हैं, उन्हें हमारे विभाग के द्वारा रेस्क्यू करके लाया जा रहा है और सखी सेन्टर के माध्यम से महिलाओं को नारी निकेतन में रखा जा रहा है। वहीं छोटे बच्चों को बाल गृह में रखा जा रहा है।

 

उन्होंने कहा कि लगातार रेस्क्यू जारी है अब तक हम लोगों ने 15 से 20 भिक्षुक बच्चों को और महिलाओं को संस्थागत आसरा दिया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोरोना के काल में थोड़ी सी बेरोजगारी बढ़ी है। रेस्क्यू किये गए लोगों का कहना है कि कोरोना काल की वजह से बेरोजगारी है, कोई भीख भी नहीं देता, छोटे बच्चों को देखकर दे देते हैं। जिसके चलते हम बच्चों से ऐसा करवाते हैं। हम उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं। शीघ्र ही कलेक्टर के द्वारा एक बहुत बेहतरीन कार्य योजना भी समाज कल्याण विभाग और महिला एवं बाल विकास के साथ बनाया जाएगा और इस पर काम भी किया जाएगा।