Diwali Declared Intangible World Heritage: यूनेस्को (UNESCO) ने दीपावली को विश्व धरोहर में शामिल किया है। यूनेस्को ने दीपावली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन की इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज यानी अमूर्त विश्व धरोहर की सूची जारी की। इसमें भारत समेत घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया और मिस्र देशों के सांस्कृतिक प्रतीक भी शामिल हैं।

यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल है, क्योंकि दीपावली अब इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल होने वाली 16वीं भारतीय परंपरा बन गई है। वहीं दिवाली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा- भारत और दुनिया भर के लोग बहुत खुश हैं…… हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत करीब से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह रोशनी और नेकी का प्रतीक है। दीपावली को UNESCO की इनटैन्जिबल हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने से इस त्योहार की ग्लोबल पॉपुलैरिटी और भी बढ़ जाएगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहें।

UNESCO की इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर इंटैन्जिबल हेरिटेज की 20वीं बैठक दिल्ली में हो रही

ये फैसला उस समय आया है, जब दिल्ली में UNESCO की इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर इंटैन्जिबल हेरिटेज की 20वीं बैठक की मेजबानी कर रही है। यह 8 से 13 दिसंबर तक चलेगी। इसी मौके को देखते हुए केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को विशेष दीपावली समारोह रखने का फैसला किया है, ताकि दुनिया के सामने भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत तरह से पेश किया जा सके।

अब यूनेस्को की सूची में भारत की 16 परंपराएं

यूनेस्को ने दीपावली को 10 दिसंबर को शामिल करने का फैसला लिया है। इससे पहले भी 15 और परंपराएं शामिल हैं। अब कुल मिलाकर 16 परंपराएं इस सूची में शामिल हो चुकी हैं। अब तक कुंभ का मेला, योग, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गरबा, केरल का मुदियेट्टू, छऊ नृत्य, बौद्ध मंत्र जाप की हिमालयी परंपरा, नवरोज और संक्रांति-पोंगल-बैसाखी जैसे त्योहार शामिल हैं।

क्यों है यह महत्वपूर्ण?

यह पर्व भारत की आध्यात्मिकता, विविधता और सामाजिक एकता को दर्शाता है। यूनेस्को का यह कदम भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने और विश्वभर में उनके महत्व को बढ़ाने में मदद करेगा। दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है. जो हमें आंतरिक ज्योति जलाने, बुराई पर अच्छाई की जीत और जीवन में सकारात्मकता लाने का संदेश देता है। जैसा कि भगवान राम के अयोध्या लौटने पर दीपों से नगर को सजाने की परंपरा में झलकता है।

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