रायपुर। यूनिसेफ अब NSS के 1 लाख से ज्यादा वालिंटियर्स के जरिये प्रदेश में बाल शोषण, बाल हिंसा के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने जा रहा है. इसकी शुरुआत राजधानी रायपुर में बाल मेला के जरिये की है. शुक्रवार को एनएसएस के साथ मिलकर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में एक दिवसीय वर्कशाप सुरक्षित पारा, सुरक्षित लईकामन का आयोजन किया गया. वर्कशाप में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति केएल वर्मा, यूनिसेफ के कम्यूनिकेशन आफिसर सैम सुधीर, रायपुर मेयर प्रमोद दुबे, NSS  की नीता बाजपाई उपस्थित थी. सभी ने बाल अधिकारों की रक्षा और प्रदेश में बाल हिंसा-शोषण को समाप्त करने का संकल्प लिया और आपसी सहभागिता के जरिये जन जागरुकता अभियान चलाने पर जोर दिया. जन जागरुकता के इस अभियान में नगर निगम भी अपनी सहभागिता निभाएगा. इसके लिए एनएसएस द्वारा रायपुर, बस्तर और सरगुजा संभाग के 13 जिलों में बाल मेला का आयोजन किया जाएगा. इस बाल मेला में शामिल होने वाले छात्रों को प्रशिक्षण देकर उन्हें तीन दिन तक चलने वाले ग्राम संपर्क अभियान में भेजा जाएगा. जहां वे नुक्कड़ नाटक और जनसंपर्क अभियान के जरिये सभी समुदायों और पालकों को बच्चों के हितों के प्रति जागरुक करेंगे साथ ही उन्हें बताएंगे कि अगर उनके आस-पास किसी बच्चे का शोषण, उसके साथ हिंसा या फिर बाल श्रम जैसी चीजें हो रही है या करवाई जा रही है तो ऐसे बच्चों के लिए उन्हें क्या करना होगा. NSS  प्रभारी नीता बाजपाई के अनुसार एनएसएस के बच्चे तीन दिन तक 20 बस्तियों और 44 गांवों में पहुंचेंगे और उन्हें ऐसी चीजों के लिए अवेयर करेंगे.

वहीं लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए UNICEF के कम्यूनिकेशन आफिसर सैम सुधीर ने बताया कि यूनिसेफ लगातार बाल अधिकारों के लिए प्रदेश में सरकार और विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर हम पिछले 10 सालों और अभी के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि हमने बहुत काम छत्तीसगढ़ के भीतर किया है. पहले जो कुपोषण 54 प्रतिशत था अब उसमें बड़ी कमी दर्ज की गई है जो घटकर 37 प्रतिशत तक पहुंच गया है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए भी हमने बहुत अच्छा काम किया है. हम सरकार के साथ मिलकर लगातार काम कर रहे हैं. हम अगर ऐसे ही काम करते रहे तो छत्तीसगढ़ से जल्दी ही कुपोषण खत्म हो जाएगा. बस्तर जैसे दूरस्थ वनांचल क्षेत्र जहां हर कदम पर चुनौतियां है वहां पर हम अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा एक मुद्दा है जिस पर कोई बात नहीं करता वह है बच्चों के साथ हिंसा , बच्चों का शोषण. यह बहुत जरुर है कि हम इस मुद्दे पर पालकों से और देखभाल करने वाली संस्थाओं, समुदायों से बात करें. उनको बताएं अगर ऐसे मामले गांव और बस्तियों में आते हैं तो हम उसे कैसे हल करें. उन्होंने NSS के साथ इस मुद्दे पर काम करने के मामले में कहा कि NSS के 1 लाख से ज्यादा वालिंटियर्स हैं उन्हें प्रशिक्षित कर बच्चों के इन मामलों को हल करने की कोशिश है. तीन माह तक इन मुद्दों पर काम करने के बाद हम दूसरे मुद्दों पर भी काम करेंगे. हम चाहते हैं कि समुदाय-परिवार जिम्मेदार और जागरुक हों जिससे कि बच्चों का शोषण न हो सके.

वहीं नगर निगम महापौर प्रमोद दुबे ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि नगर निगम द्वारा भी बच्चों के इन अहम मसलों में साथ मिलकर काम करेंगे. लोगों को जागरुक करेंगे. आपको बता दें कि बाल अधिकारों में बच्चों के शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मामले भी शामिल हैं जिनके लिए वैश्विक स्तर पर यूनिसेफ अलग-अलग देशों की सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रहा है.