नई दिल्ली। केंद्र ने शनिवार को केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को मंजूरी दे दी, जिसका सीधा असर 23 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा. इसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करना है.

UPS की कुछ मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

सुनिश्चित पेंशन:
जिन कर्मचारियों ने कम से कम 25 साल तक सेवा की है, उन्हें सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में उनके औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत सुनिश्चित पेंशन मिलेगी. 25 साल से कम सेवा वाले लोगों के लिए, पेंशन उनके कार्यकाल के अनुपात में होगी, जिसमें न्यूनतम योग्यता सेवा अवधि 10 साल निर्धारित की गई है.

सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन:
कर्मचारी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की स्थिति में, उनके जीवनसाथी को पारिवारिक पेंशन मिलेगी, जो कर्मचारी की मृत्यु से पहले प्राप्त पेंशन का 60 प्रतिशत सुनिश्चित होगी.

सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन:
यहां तक ​​कि जिन कर्मचारियों ने न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, उनके लिए भी सेवानिवृत्ति पर प्रति माह ₹ 10,000 की न्यूनतम पेंशन की गारंटी है.

मुद्रास्फीति सूचकांक:
सुनिश्चित पेंशन और पारिवारिक पेंशन दोनों ही मुद्रास्फीति सूचकांक के अधीन हैं. यह समायोजन सुनिश्चित करता है कि पेंशन मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बनाए रखे.

महंगाई राहत:
सेवारत कर्मचारियों की तरह, यूपीएस के तहत सेवानिवृत्त लोगों को औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई-आईडब्ल्यू) के आधार पर महंगाई राहत मिलेगी.

सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त भुगतान:
ग्रेच्युटी के अलावा, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान मिलेगा. यह भुगतान सेवानिवृत्ति की तिथि पर कर्मचारी के मासिक परिलब्धियों (वेतन और महंगाई भत्ते सहित) का 1/10वां हिस्सा होगा, जो सेवा के प्रत्येक छह महीने पूरे होने पर होगा. इस एकमुश्त भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी.

यूपीएस से केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को तुरंत लाभ मिलने वाला है. हालांकि, अगर राज्य सरकारें इस योजना में शामिल होने का विकल्प चुनती हैं, तो यह संख्या बढ़कर 90 लाख हो सकती है, जिससे पूरे भारत में सरकारी कर्मचारियों के एक बड़े समूह को इसका लाभ मिलेगा.

यह घोषणा कई गैर-भाजपा राज्यों द्वारा डीए-लिंक्ड पुरानी पेंशन योजना (OPS) पर वापस लौटने और कुछ अन्य राज्यों में कर्मचारी संगठनों द्वारा इसकी मांग उठाए जाने की पृष्ठभूमि में की गई है.

राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार में शामिल होने वाले सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को छोड़कर सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू की गई है. अधिकांश राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों ने अपने नए कर्मचारियों के लिए NPS को अधिसूचित भी कर दिया है.

ओपीएस के तहत सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मासिक पेंशन के रूप में मिलता था. डीए दरों में बढ़ोतरी के साथ यह राशि बढ़ती रहती है. ओपीएस वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह अंशदायी नहीं है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता रहता है.