Uniform Civil Code: उत्तराखंड आज से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इस कानून के तहत शादी, रिश्ते, संपत्ति, बहुविवाह और अन्य सामाजिक पहलुओं में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे. यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से अब विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया. इसके साथ ही, राज्य में सभी धर्मों के लिए तलाक के नियम समान होंगे. इसके अलावा, बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाओं पर भी रोक लगा दी है.
Uniform Civil Code लागू होने के बाद बदलाव:
हलाला और बहुविवाह पर लगेगी रोक
Uniform Civil Code के तहत इस्लाम में प्रचलित हलाला प्रथा पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा बहुविवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगा दी गई है.
18 साल की उम्र से पहले नहीं होगी शादी
अब सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष लड़कों और 18 वर्ष लड़कियों के लिए तय की गई है. मुस्लिम लड़कियां भी 18 साल से पहले शादी नहीं कर सकेंगी.
Uniform Civil Code लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप के नियम
Live-in Relationship में रहने वाले कपल्स के लिए अब माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी. यदि कोई कपल लिव-इन में रहना चाहता है, तो उन्हें रजिस्ट्रार के पास जाकर इस संबंध की घोषणा करनी होगी, और यदि वे संबंध खत्म करना चाहते हैं तो इसकी जानकारी भी रजिस्ट्रार को देनी होगी. लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को वैध माना जाएगा. वहीं रिलेशनशिप खत्म करने पर महिला के पास गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार होगा. इसके अलावा, एक महीने से अधिक बिना सूचना के लिव-इन में रहने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
संपत्ति में सभी बच्चों को समान अधिकार
यूसीसी के तहत संपत्ति के अधिकारों में कोई भेदभाव नहीं होगा. चाहे बच्चे लिव-इन, प्राकृतिक संबंध या सहायक विधियों से पैदा हुए हों, उन्हें संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा. संहिता के तहत बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा.
बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का होगा अधिकार
Uniform Civil Code के अनुसार, यदि किसी की मौत हो जाती है, तो उसके संपत्ति पर पति/पत्नी, बच्चे के अलावा अब उनके माता-पिता को भी समान रूप से अधिकार मिलेगा. संपत्ति को लेकर घरेलु विवादों को रोकने के लिए संहिता में यह प्रावधान किया गया है.
पूरी संपत्ति का करा सकेंगे वसीयतनामा
समान नागरिक संहिता के अनुसार, अब किसी भी व्यक्ति को अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत करने का अधिकार होगा. इससे पहले इसाई, मुस्लिम और पारसी समुदायों में वसीयत के नियम अलग-अलग थे. लेकिन अब सभी के लिए वसीयत के नियम समान होंगे.
विवाह का रजिस्ट्रेशन
Uniform Civil Code लागू होते ही सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, और 27 मार्च 2010 के बाद हुई सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. विवाह के रजिस्ट्रेशन के लिए सरकार द्वारा ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें.
विवाह-तलाक का रिजस्ट्रेशन
Uniform Civil Code लागू होने के बाद जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन की तरह ही अब विवाह और तलाक का भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा.
दूसरे धर्म के बच्चे को नहीं ले सकेंगे गोद
यूसीसी के तहत गोद लेने के अधिकार में भी बदलाव किया गया है, अब सभी धर्म के लोग बच्चे गोद ले सकेंगे. हालांकि कोई भी धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं ले सकेंगे.
UUC के दायरे से बाहर होंगी अनुसूचित जनजातियां
अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से बाहर रखा गया है, ताकि उनके रीति-रिवाजों का संरक्षण किया जा सके. ट्रांसजेंडर की परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
उत्तराखंड सरकार ने विवाह और लिव-इन रजिस्ट्रेशन के लिए एक वेबसाइट (ucc.uk.gov.in) बनाई है, जहां 500 रुपये की फीस देकर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है.
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