यश खरे, कटनी। वर्दी वाले गुंडे की कहावत जिले के मोहतरा गांव में चरितार्थ हुई है। वर्दी की गर्मी में पुलिस द्वारा पूरे गांव में कोहराम मचाया गया। इस घटना से बाद ग्रामीण इतने भयभीत हो गए कि घरों में ताले लगाकर पलायन कर गए। कई लोग खेतों और दीगर जगहों में रात गुजारने को मजबूर है।

जानकारी के अनुसार मामला मध्यप्रदेश के कटनी जिले के बहोरीबंद जनपद पंचायत के मोहतरा गांव का है। जहां पर 8 जुलाई को दूसरे चरण के पंचायत चुनाव के लिए मतदान हुआ। दो प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव परिणाम में पहले एक प्रत्याशी को 3 वोट से विजयी घोषित कर दिया गया जिससे उनके समर्थक खुशी मनाने लगे। इसके 10 मिनट बाद दूसरे प्रत्याशी को 7 मतों से विजयी घोषित कर दिया गया। इसके बाद दोनों प्रत्याशी के समर्थक आपस में भिड़ गए। मामला हाथापाई से मतदान कर्मचारियों को बंधक बनाने तक पहुंच गया। बंधक बनाने की खबर आला अधिकारियों को पहुंची तो पुलिस बल भेजकर कर्मचारियों को छुड़ाया गया। इस दौरान प्रत्याशी के समर्थकों ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। पुलिस ने भीड़ पर हल्का बेत प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़, तब मामला किसी तरह शांत हुआ। इसके दूसरे दिन 9 जुलाई को प्रत्याशी के समर्थकों की गलती का खामियाजा निर्दोष गांव वालों को भुगतना पड़ा।

सूत्र बताते हैं कि गांव में पुलिस की वर्दी में आये लोगों ने गांव के हर व्यक्ति, बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को जमकर पीटा। घर में रखे समानों को तोड़ दिया गया। पुलिस की दहशत से गांव की जनता पलायन कर चुकी है। मोहतरा 1400 जनसंख्या वाला गांव अब 14 लोगों में तब्दील हो गया है। यहां के रहवासी खेतों पर रहने को मजबूर हैं। पुलिस की वर्दी पहनकर आये लोगों के द्वारा गांव पर जो तांडव किया गया उसकी हकीकत गांव की तस्वीरें बया कर रही है। क्षेत्र वासियों द्वारा बताया गया कि पुलिस वाले आये थे जो एक तरफ से गांव में घुसकर पूरे गांव वालों को जमकर मारपीट की। वहीं एडिशनल एसपी मनोज केडिया के मुताबिक ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई है। अब सवाल यह है कि फिर पुलिस वाले कौन थे जो गांव के अंदर यह कोहराम मचा गए?

इस घटना में आम लोगों के साथ-साथ आर्मी के एक जवान के घर को भी नहीं छोड़ा गया। उनके परिजनों के साथ भी मारपीट और घर में तोड़फोड़ की गई। इस पूरी घटना पर ओबीसी समाज के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह लोधी ने भी ट्वीट करके कहा कि अगर प्रशासन दमन करता है तो महासभा शांत नहीं बैठेगी। फिलहाल यह उच्च स्तरीय जांच का विषय है कि पूरे गांव वालों को क्यों मारा गया। आखिर गांव के रहवासियों का क्या दोष था।

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