रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज दुर्ग में सभा कर छत्तीसगढ़ में भाजपा के चुनाव अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं. अमित शाह के दुर्ग में सभा के कई मायने हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से कांग्रेस का गढ़ रहे दुर्ग की आज भी प्रदेश की राजनीति में तूती बोलती है. इसी दुर्ग संभाग से प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री, कृषि मंत्री और वन मंत्री आते हैं. आइए जानते हैं इस संभाग का सियासी समीकरण, जिसकी वजह से भाजपा यहां से अपने चुनाव अभियान का शंखनाद करने जा रही है.

छत्तीसगढ़ के गठन से पहले ही अविभाजित मध्यप्रदेश की राजनीति में दुर्ग संभाग का बड़ा महत्व रहा है. इसी दुर्ग से निकलकर चंदूलाल चंद्राकर ने देश की राजनीति में अपनी पैठ बनाई थी. चंदूलाल चंद्राकर ने लोकसभा में पांच बार दुर्ग का प्रतिनिधित्व किया. चंदूलाल चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ को बनाने के लिए हुए आंदोलन में महती भूमिका निभाई. उन्हीं की वजह से दिल्ली में राजनीति करने वाले नेताओं को छत्तीसगढ़ की जानकारी हुई.

चंदूलाल चंद्राकर की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम मोतीलाल वोरा ने किया. मोतीलाल वोरा का काम ही था, जिसकी वजह से अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उनके पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुए उत्तर प्रदेश का राज्यपाल तक नियुक्त किया गया. यही नहीं उन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी निभाई.

मोतीलाल वोरा के दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जब राजनांदगांव से उनके खिलाफ कोई भाजपा नेता चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, तब शीर्ष नेतृत्व के आदेश पर डॉ. रमन सिंह ने चुनाव लड़ने की हामी भरी. चुनाव में मिली जीत का प्रतिफल डॉ. रमन सिंह को पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में फिर छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली.

15 सालों के भाजपा शासनकाल के बाद एक बार फिर प्रदेश की राजनीति ने करवट ली. दुर्ग संभाग कुल 20 विधानसभा सीटें हैं. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक तरफा जीत दर्ज की थी. 20 में से 17 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, तो भाजपा को महज 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. जोगी कांग्रेस के खाते में महज एक सीट आई थी.

कांग्रेस के प्रति भरोसा जताने का फायदा संभाग के मतदाताओं को मिला. इस बार भी दुर्ग संभाग का रूतबा कम नहीं हुआ. दुर्ग के पाटन विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को कांग्रेस के बहुमत में आने पर मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली.

वहीं भूपेश बघेल के साथ दुर्ग ग्रामीण का प्रतिनिधित्व करने वाले ताम्रध्वज साहू को प्रदेश सरकार में गृह मंत्री की जिम्मेदारी मिली. इसके साथ साजा विधानसभा में कांग्रेस का झंडा दशकों से बुलंद करने वाले रविंद्र चौबे को कृषि मंत्री की जिम्मेदारी मिली है. यही नहीं कवर्धा का प्रतिनिधित्व करने वाले मोहम्मद अकबर को वन और परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके अलावा अहिवारा विधानसभा से आने वाले गुरु रुद्रकुमार को पीएचई विभाग सौंपा गया है.

दो नए जिलों के गठन के बाद दुर्ग संभाग में अब 7 जिले हो गए हैं. दुर्ग जिले के 6 में से 5 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है, एक सीट वैशालीनगर पर भाजपा के पास है. बालोद जिले के तीनों सीट पर कांग्रेस काबिज है. बेमेतरा जिले के तीनों सीट पर कांग्रेस काबिज है. कवर्धा जिले के दोनों सीट पर कांग्रेस काबिज है. अविभाजित राजनांदगांव जिले के 6 में से 5 सीटे कांग्रेस के पास है, राजनांदगांव की 1 सीट पर भाजपा काबिज है. वहीं संभाग के दो लोकसभा दुर्ग और राजनांदगांव दोनों में भाजपा काबिज है.