रायपुर। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री डाॅ.प्रेमसाय सिंह टेकाम ने केन्द्रीय जनजातीय कार्यमंत्री अर्जुन मुण्डा से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी की तरह ही लघु वनोपजों की खरीदी के लिए भी शत प्रतिशत राशि राज्य को उपलब्ध कराए। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से यह भी आग्रह किया कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों के संग्रहण और संरक्षण के लिए गोदाम और कोल्ड स्टोरेज के निर्माण को मंजूरी प्रदान करते हुए अधिक से अधिक धनराशि उपलब्ध करायी जाए। केन्द्रीय जनजातीय कार्यमंत्री अर्जुन मुण्डा आज वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों में आदिमजाति कल्याण विभाग के कार्यो की समीक्षा कर रहे थे।

इस अवसर पर प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर भी उपस्थित थे। वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में केन्द्रीय जनजाति कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सूरजपुर से शामिल हुई। केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुण्डा ने समीक्षा के दौरान छत्तीसगढ़ में वन धन विकास केन्द्र के माध्यम से घर-घर खरीदी कार्य की प्रशंसा की। उल्लेखनीय है कि चालू सीजन के दौरान छत्तीसगढ़ पूरे देश में सार्वधिक लघु वनोपजों की खरीदी और संग्रहण वाला राज्य बन गया है। इस दौरान देश में अब तक लघु वनोपजों की खरीदी हुई लगभग 31 करोड़ रूपए की राशि में से छत्तीसगढ़ राज्य की 28 करोड़ रूपए से अधिक राशि की भागीदारी है।

डाॅ.प्रेमसाय सिंह टेकाम ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ में 85 आदिवासी विकासखण्ड और 44 प्रतिशत वन क्षेत्र में वहां निवास करने वाले सभी नागरिक वनवासी तथा आदिवासी हैं। जंगल को बचाने के लिए आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से आग्रह किया कि नवोदय विद्यालय के पाठ्यक्रम में वनोपजों की पूर्ण प्रक्रिया को शामिल किया जाए, जिससे आने वाली पीढ़ी को छत्तीसगढ़ में बहुतायत से पाए जाने वाले वनोपजों के संवर्धन और संरक्षण से प्रसंस्करण तक की पूरी प्रक्रिया की जानकारी मिल सके और वे इन वनोपजों से अपना जीवकापार्जन बेहतर ढ़ंग से कर सके। डाॅ. टेकाम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लाॅकडाउन की स्थिति को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कोरोना बीमारी की रोकथाम के बेहतर उपाय करते हुए आदिवासी क्षेत्रों निवासरत लोगों के रोजगार का पूरा ख्याल रखा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण के साथ-साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य जोरो पर जारी है। इनके संग्रहण में लाॅकडाउन के नियमों का पूर्णतः पालन किया जा रहा है।

डाॅ. टेकाम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। इससे लगभग 12 लाख 53 हजार वनवासी गरीब परिवारों को रोजगार मिलेगा। राज्य में तेंदूपत्ता संग्राहकों को इस वर्ष 649 करोड़ रूपए का भुगतान उन्हें पारिश्रमिक के रूप में किया जाएगा। राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी की संख्या को निरंतर बढ़ाते हुए 25 तक कर दी गई है। राज्य में वन धन योजना अंतर्गत संचालित महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 50 लाख मास्क भी बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा महुआ के फूल से सेनेटाईजर बनाकर इसका उपयोग किया जा रहा है। साथ ही राज्य में मनरेगा योजना के तहत वर्तमान में 23 लाख से अधिक वनवासी आदिवासी ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा हैै। इस तरह वनांचल आदिवासी क्षेत्रों में 90 प्रकार के हर्बल उत्पाद बनाकर आम लोगों को रोजगार मुहैय्या कराया जा रहा है। डाॅ. टेकाम ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने देश में सबसे पहले महुआ फूल के निर्धारित समर्थन मूल्य 17 रूपए में 13 रूपए की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की, जिससे इसका मूल्य प्रति किलोग्राम 30 रूपए संग्राहकों को मिला। इससे राज्य में महुआ फूल के संग्राहकों को बढ़ी हुई राशि का अतिरिक्त लाभ भी मिला है।

इस अवसर पर प्रदेश के प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ, सचिव अनुसूचित जाति एवं जनजाति डी.डी. सिंह, प्रबंध संचालक राज्य वनोपज संघ संजय शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित थे।