Chirag Paswan on Sengol Controversy: देश में एक बार फिर से सेंगोल पर विवाद बढ़ गया है। इस विवाद की नींव सपा सांसद आरके चौधरी (RK Chaudhary) ने रखी है। आरके चौधरी ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए इसे लोकसभा से हटाने की मांग की है। चौधरी ने लोकसभा सभापति ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) को चिट्ठी लिखकर सेंगोल हटाने की मांग की। मामले में अब एलजेपी (आर) नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पलटवार किया है। उन्होंने पूछा है कि विपक्ष के नेता सकारात्मक राजनीति क्यों नहीं कर सकते हैं। विपक्ष को हर चीज से दिक्कत क्यों है?
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “यह मेरी समझ से परे है कि आपके क्षेत्र की जनता ने आपको विकास कार्यों के लिए चुना है या यहां आकर ऐसी विवादास्पद राजनीति करने के लिए। जिस तरह से इतने दशकों से ऐसे प्रतीकों को गलत रोशनी में दिखाने की कोशिश की गई है। आज जब हमारे प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें उचित सम्मान दिया जाता है तो आपको इन सब चीजों से दिक्कत क्यों हैं? ये विपक्षी नेता सकारात्मक राजनीति के बारे में क्यों नहीं सोच सकते?”
बता दें कि अखिलेश यादव के सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा सभापति ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर सेंगोल पर सवाल उठाते हुए इसे संसद से हटाने की मांग की है। आरके चौधरी ने लिखा कि इस सम्मानित सदन में आपके समक्ष सदस्य के रूप में शपथ ले ली है कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रृद्धा व निष्ठा रखूँगा, लेकिन सदन में पीठ के ठीक दाहिने स्थापित सेंगोल देखकर मैं हैरान रह गया। सपा नेता ने कहा कि हमारा संविधान भारतीय लोकतंत्र का एक पवित्र ग्रंथ है, लेकिन सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है। ये किसी राजे-रजवाड़े का महल नहीं है।
“कोई गधा नहीं सब घोड़े हैं, बस करनी है पहचान…” -Rahul Gandhi
संसद भवन के उद्घाटन पर स्थापित किया गया था सेंगोल
बता दें कि पीएम मोदी ने 28 मई 2023 को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की थी। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में ‘सेंगोल’ की नए संसद भवन के लोकसभा में स्थापना की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘सेंगोल’ राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है।
जानिए क्या है सेंगोल
‘राजदंड’ सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर नेहरू से सवाल पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से राय ली। उन्होंने सेंगोल के बारे में जवाहर लाल नेहरू को जानकारी दी। इसके बाद सेंगोल को तमिलनाडु से मंगाया गया और ‘राजदंड’ सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। जिसे पीएम मोदी ने नई संसद में स्थापित किया था।
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