संबलपुर: केंद्रीय शिक्षा मंत्री और संबलपुर के सांसद धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने संबलपुर की खास मिठाई सरसतिया के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल करने के प्रयास शुरू किए हैं. सरसतिया एक दुर्लभ और कुरकुरी मिठाई है, जो पश्चिमी ओडिशा के सांस्कृतिक ताने-बाने में गहराई से समाई हुई है.

संबलपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित ‘कन्वेंशन 2.0 फोरम-2025’ में बोलते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सरसतिया को सिर्फ एक मिठाई से कहीं ज्यादा, संबलपुरी गौरव का प्रतीक बताया है. उन्होंने विश्व स्तर पर प्रसिद्ध संबलपुरी साड़ी से तुलना करते हुए कहा, “यह एक ब्रांड है, एक सांस्कृतिक पहचान है जो मान्यता की हकदार है.”

गंजेर के पेड़ से निकाले गए राल और अरुआ नामक पिसे हुए चावल के पाउडर से बनी सरसतिया को लकड़ी के क्रशर और डीप फ्राई करने जैसी सदियों पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है. नतीजा? फीते जैसे नाज़ुक रेशों से कुरकुरे, मीठे निवाले बनते हैं.

स्थानीय अधिकारियों और वाणिज्य विभाग के सहयोग से शुरू की गई जीआई टैग पहल का उद्देश्य सरसतिया की प्रामाणिकता की रक्षा करना और इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रचारित करना है. अपनी अनूठी तैयारी और विरासत मूल्य के साथ, सरसतिया जल्द ही भारत के क्षेत्रीय संरक्षित व्यंजनों की विशिष्ट सूची में शामिल हो सकता है.