रायपुर-केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने पुलिस आरक्षकों के वेतन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखते हुए वेतन ग्रेड बढ़ाये जाने की मांग पर समर्थन दिया है. उन्होंने कहा है कि पुलिस आरक्षकों का वेतन ग्रेड 1900 से बढ़ाकर 2800 रूपए किया जाना चाहिए. यह जायज मांग है. इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए.

मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में रेणुका सिंह ने कहा है कि पुलिस समाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. आम आदमी की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को बनाये रखने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है. हर परिस्थितियों मेंपुलिस अपनी जान जोखिम में डालकर भी तैनात रहती हैं. वर्तमान में कोविड-19 में की गई सेवायें इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. रेणुका सिंह ने लिखा है कि पुलिस आरक्षक 1861 से 24 घंटे के अनुबंध पर 12 से 18 घंटे अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनका वेतन एवं भत्ता बढ़ाने की मांग लम्बे अरसे से की जा रही है. वर्तमान में आधारभूत सुविधाएं भी प्राप्त नही है, जिससे इनका परिवार प्रभावित हो रहा है. अन्य संवर्ग की अपेक्षा वेतन भत्ता कम होने के कारण अधिकांश पुलिसकर्मी अपनी जरूरतें बैंक से लोन लेकर पूरा कर रहें हैं, लिहाजा वेतन ग्रेड 1900 से बढ़ाकर 2800 रूपए किए जाने की उनकी मांग पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए.

इधर कांकेर सांसद मोहन मंडावी ने भी पुलिस आरक्षकों के वेतन वृद्धि के मामले में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने लिखा है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस आरक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. 18-18 घंटे की कड़ी ड्यूटी देने के बावजूद उन्हें मिलने वाला वेतन ग्रेड बेहद कम हैं. ऐसे में उनकी पारिवारिक, समाजिक और आर्थिक स्थिति को विशेष रूप से दृष्टिगत किए जाने की जरूरत है. वेतन ग्रेड 1900 से बढ़ाकर 2800 रूपए किए जाने की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए.

कांग्रेस विधायक भी लिख चुके हैं चिट्ठी

पुलिस आरक्षकों के वेतन ग्रेड बढ़ाए जाने की मांग पर नारायणपुर से कांग्रेस विधायक चंदन कश्यप भी समर्थन दे चुके हैं. पिछले दिनों उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखी चिट्ठी में कहा था कि पुलिस कर्मी अपनी जरूरते लोन लेकर पूरी कर रहे हैं. दूसरा व्यवसाय भी नहीं कर सकते. पुलिस सेवा में होने की वजह से उन्हें धरना, आंदोलन, हड़ताल करने की अनुमति भी नहीं है, जिससे वह अपनी मांग रख सके. ऐसी स्थिति में वह अवसाद ग्रस्त होते जा रहे हैं. पुलिस कर्मियों के आत्महत्या के बढ़ते मामले भी उनकी मानसिक अशांति की स्थिति बता रहे हैं.