केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) पर निर्भरता कम करने के तरीकों पर शोध कार्य करने की जरूरत है. क्योंकि इससे ईकोलॉजिकल और पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने में भी मदद मिलेगी.

उन्होंने एजिस ग्राहम बेल अवार्ड्स के 14वें संस्करण को संबोधित करते हुए ये कहा, ”हमें ऐसे अनुसंधान की जरूरत है जो हमारे आयात (ईंधन के) को कम करने के लिए है, जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों की मदद करने वाला हो और जहां हम पारिस्थितिकी और पर्यावरण की समस्याओं को कम करने के लिए कचरे का उपयोग कर सकते हैं.” उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए भारत एक दिन मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगा. एक दिन आएगा जब देश जैव-विमानन ईंधन का निर्यातक होगा.

गडकरी ने कहा कि बांस, गेहूं के भूसे और चावल के भूसे से बायोमास का उपयोग करके इथेनॉल बनाया जा सकता है और इथेनॉल से जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) बनाया जा सकता है.

उनके अनुसार, शोध कार्यों से स्मार्ट गांवों के विकास, जल संरक्षण और कृषि पद्धतियों के विविधीकरण में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा उन्होंने कार्बन डाइऑक्साइड से इथेनॉल बनाने के लिए चल रहे शोध कार्य का भी उल्लेख किया.

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