एनके भटेले, भिंड। शहर के बस स्टैंड पर संचालित इंसानियत युवा मंडल समिति इंसानियत की मिसाल पेश कर रही है। इंसानियत युवा मंडल के सदस्य बस स्टैंड के पास जानवरों का एक छोटा से टेक-केअर होम संचालित करते हैं। एनिमल केअर सेंटर न सिर्फ सुविधाओं से लैस है बल्कि ऐसे जानवरों और पक्षियों के लिए बनाया गया है जो बेसहारा, घायल और बीमार होते हैं।
सैकड़ों जानवर ठीक कर चुके इंसानियत युवा मंडल समिति की नींव रखने वाले अनंत इंसानियत कहते है कि आदमी की मदद करने वाले तो बहुत है। लेकिन बेज़ुबानों की मदद को कोई आगे नहीं आता है।

गौवंश राजनीति का विषय बन चुकी है जिस वजह से जगह जगह गौशालाएं खोली जा रही हैं। लेकिन गौवंश के अलावा भी कई जानवर हैं जिन्हें मदद की जरूरत होती है। अक्सर कुत्ते, बिल्ली, बंदर पक्षी हादसों में घायल हो जाते हैं, लेकिन उनके लिए कोई आगे नहीं आता है। इसी सोच ने इस संस्था का गठन किया गया। 10 साल पहले उन्हें घायल अवस्था में एक कुत्ता मिला था। उसकी हालत देख कर सेवाभाव जगाया। छोटे से केयर सेंटर में धीरे धीरे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी। चार साल पहले तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी से मिले। उन्हें काम के बारे बताया तो उन्होंने न सिर्फ तारीफ की बल्कि समूह का रजिस्ट्रेशन भी कराया, जो कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय स्तर पर भी रजिस्टर हो गया है।

वर्तमान कलेक्टर सतीश कुमार एस ने बस स्टैंड के पास वैटरनरी विभाग की खाली पड़ी जमीन समूह को अलॉट कर सेंटर स्थापित करने के लिए दी है। आज यहां अस्पतालनुमा एनिमल टेक केयर सेंटर संचालित हो रहा है। अनंत इंसानियत ने बताया कि नगर पालिका द्वारा शेड, किचिन, तार फेंसिंग और बाउंड्री वॉल बनवाकर दी। इलाज के इक्विपमेंट, टेबल्स, एनिमल बेड्स, व्हील वॉकर्स, पिंजड़े, और ज़रूरत के लिए एक एम्बुलेंस भी खुद इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्यों ने आपस में चंदा कर खरीदे है। यहां कुत्ते, बंदर, बिल्ली समेत कुछ पक्षी भी हैं। हर सदस्य अपने घर से कुछ रोटियां बनवा कर लाता है, ऐसे में 400 रोटियां इन जानवारों को हर रोज खिलाई जाती हैं। आने वाले समय में किचन की भी शुरुआत हो जाएगी। आज 240 से ज्यादा सदस्य हर रोज सेवा के लिए समय देते हैं। सदस्य अक्षय इंसानियत शिक्षक होने के बावजूद इस सेवा कार्य के लिए समय निकलते हैं।

इंसानियत युवा मंडल समिति के सदस्यों की एक और खास बात है जो सबसे निराली और अलग है वह यह कि इस समूह के सभी सदस्य अपने नाम के साथ अपनी जाति का सरनेम नहीं लगाते बल्कि इंसानियत को सरनेम लिखते हैं। संस्था की तारीफ खुद एनिमल राइट एक्टिविस्ट और लोकसभा सांसद मेनका गांधी भी कर चुकी हैं।

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