धमतरी. जिले में अनोखी बारात निकली, जिसे देखने के लिए गांव के लोग उमड़ पड़े. पुरानी परंपरा को कायम करने के लिए दूल्हे ने यह फैसला लिया. जिसमें खुशी-खुशी परिवार वाले भी शामिल हुए. हालांकि इस अनोखी शादी को देखने के लोगों की भीड़ लग गई.

बता दें कि, जिले के वनांचल क्षेत्र में देखने अनोखी शादी देखने को मिली है. जहां दूल्हे ने अपनी दुल्हन को लेने बारात में बैलगाड़ी को साधन चुना. धमतरी जिला मुख्यालय से तकरीबन 55 किमी.की दूरी पर वनांचल से घिरा ग्राम सिरकट्टा निवासी रुपेश मरकाम ने अपने वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान बैलगाड़ी में सवार होकर जब पांच किमी.की दूरी तयकर दुल्हन के ग्राम कौव्हाबाहरा, छिन्दपारा में टेकाम परिवार के घर पहुंचा तो ग्रामीणों के लिए चर्चा का विषय बना गया. आधुनिक युग में ऐसा अनोखी सोच को देखते हुए क्षेत्रवासियों ने दूल्हे को शाबासी दी. वहीं दूल्हे की बारात के लिए प्राकृतिक संसाधनों से बैलगाड़ियां सजाई गई थी, जिसके आगे लग्जरी कारें भी फिकी रही.

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इस आधुनिकता से भरे और दिखावे की इस दौर में लोग शानों-शौकत के साथ मंहगी कारों में बैठकर दुल्हन के घर पहुंचना पसंद करते हैं. आज के बदलते दौर में शादी समारोह बेहद खर्चीले और अधिकत्तर दिखावे से भरे होते हैं, जिसमें ना किसी को मंहगाई की चिंता रहती है और ना ही पर्यावरण की और ना ही अपनी परंपरा और संस्कृति की. इन सब बातों को दरकिनार करते हुए मगरलोड ब्लॉक के आखिरी छोर में बसे ग्राम सिरकट्टा निवासी रुपेश मरकाम ने आज के नई सोच के नौजवानों के लिए अपनी समाज के लिए अपनी विवाह के दौरान बारात में बैलगाड़ी से सवारी कर बहुत बड़ा संदेश सादा जीवन उच्च विचार के रूप में दिया.

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आधुनिकता की इस युग में अपनी पुरातन संस्कृति को लोग भूलते जा रहे हैं. वहीं रुपेश मरकाम आदिवासी समाज से है, जिसका कहना है कि अपने पूर्वर्जों के दौर में आदिवासी समाज में प्राकृतिक सौंदर्य को सामाजिक कार्यक्रमों में सहेजकर उपयोग में लाते रहे हैं. प्रकृति और पर्यावरण से हमेशा प्रेम करते रहे हैं. जिनको आज भी सहेजने की सोच उस परिवार और ग्रामीणों की एक अच्छी पहल है.

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