दिल्ली. इस शादी में वो सब कुछ था जो आमतौर पर होता है. बैंड-बाजे की धुन पर ख़ुशी से झूमते लोग, सजावट, चमक-धमक के साथ घोड़े पर सवार बरात के साथ चलता खुश दूल्हा.

हैरत की बात ये है कि दुल्हन जो किसी भी शादी की आकर्षण का केंद्र होती है, ये सब उसके बिना ही हो रहा था. वह भी बेहद ख़ुशी ख़ुशी.

ऐसा शायद ही कहीं हुआ हो कि अगर दुल्हन न मिले तो सारे इंतजाम कर अकेले ही रस्में निभाकर कम से कम शादी जैसे आयोजन और दूल्हा बनने का सुख प्राप्त किया हो, लेकिन ये हैरत में डालने वाली ये शादी गुजरात में हुई.

दरअसल, गुजरात के हिम्मतनगर के रहने वाले 27 साल के अजय बरोत दिमागी रूप से ठीक नहीं हैं. उनका इलाज चल रहा है. अजय का शादी करने का मन था, लेकिन दिक्कत ये थी कि परिजनों को अजय के जोड़ की दुल्हन ही नहीं मिल रही थी.

दुल्हन तलाशने में हुई परेशानी के बीच काफी सोचने-विचारने के बाद परिजनों ने सोचा कि क्यों न बिना दुल्हन के ही शादी कराई जाए. अजय ने भी इसके लिए हामी भर दी, इसके बाद तैयारियां शुरू हो गईं. बाकायदा निमंत्रण कार्ड छपवाकर बंटवाए गए. बरात आई, दूल्हा शेरवानी पहन घोड़े पर सवार हुआ. बरात इलाके में घूमी, इसके बात फेरे जैसी रस्में भी दूल्हे ने बिना दुल्हन के ही संपन्न की.