उत्तर प्रदेश: जज ने रामायण की चौपाई सुनाकर बलात्कारी को दी फांसी की सजा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की अदालत में एक बलात्कारी को जज ने अनोखे अंदाज में फांसी की सजा सुना दी।
दरअसल, हरदोई जिले में एक मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दुष्कर्मी को मौत की सजा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्र विजय श्रीनेत ने रामचरित मानस की चौपाई पढ़कर सुनाई। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में कहा गया है कि, अनुज बधू भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी। इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई। न्यायाधीश ने इस चौपाई की व्याख्या करते हुए कहा कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और कन्या ये चारों समान हैं। इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसका वध करने में पाप नहीं लगता है।
इस चौपाई को सुनाने के बाद जज साहब ने दुष्कर्मी गुड्डू को मौत की सजा सुनाई। इसके बाद जज अपने चैंबर में चले गए। उन्होंने अपने फैसले में बेहद तल्ख टिप्पणी भी की और कहा कि अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध न सिर्फ बर्बर, क्रूर बल्कि बेहद अमानवीय है। यह इंसानियत की हत्या है। एक अबोध बच्ची जिसको जीवन में बहुत कुछ देखना था। उसके साथ दुष्कर्म करना और साक्ष्यों को मिटाने के लिए हत्या कर शव को तालाब में फेंकना। यह क्रूरता की पराकाष्ठा है। इसके लिए अभियुक्त सिर्फ मौत की सजा का हकदार है।