
बस्तर में अनोखी शादी : यूं तो पर्यावरण बचाने के लिए कई पर्यावरण प्रेमियों ने मुहिम छेड़ रखी है और लगातार लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में बस्तर के एक पत्रकार ने एक ऐसी मिसाल पेश की है जिसे सुनकर आप भी प्रेरित हो जाएंगे.


बस्तर में आयोजित यह अनोखी शादी पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त थी. इसकी शुरुआत हुई अनोखे निमंत्रण से! इस शादी का इन्विटेशन कार्ड किसी कागज पर नहीं बल्कि रुमाल पर प्रिंट किया गया था. जी हाँ! यह रुमाल धोने पर पूरी तरह से साफ हो जाता है जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. आमतौर पर महंगे कार्ड छपवाए जाते हैं जो बाद में बेकार हो जाते हैं. लेकिन इस परिवार की सोच ने पर्यावरण संरक्षण का अनूठा उदाहरण पेश किया.

शादी के दौरान भी प्लास्टिक का कोई उपयोग नहीं किया गया. पानी के लिए कांच के गिलासों का उपयोग किया गया और डिस्पोजेबल प्लेट्स की जगह मिलामाइन से बनी प्लेट का स्तेमाल किया गया इसके अलावा चाय व कॉफी के लिए मिट्टी के कप यानी कुल्हड़ का इस्तेमाल इस्तेमाल किया गया.
शादी में आए मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट में महंगे शो-पीस नहीं, बल्कि ऑक्सीजन वाले पौधे दिए गए. परिवार ने सभी मेहमानों से अनुरोध किया कि वे अपने नाम से यह पौधा लगाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में योगदान दें.
पटाखों और प्लास्टिक बोतलों का बहिष्कार
इतना ही नहीं इस शादी में किसी प्रकार के पटाखे नहीं जलाए गए, जिससे ध्वनि और वायु प्रदूषण को कम किया गया. पानी की प्लास्टिक बोतलों की जगह केवल काँच के गिलासों का उपयोग किया गया.
दूल्हा-दुल्हन आशुतोष प्रकांक्षा ने कहा हम चाहते थे कि हमारी शादी सिर्फ खुशी का अवसर न हो, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी हो. पर्यावरण की रक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है! वही परिवार के बड़े भाई विनोद तिवारी ने कहा हमने सोचा कि क्यों न एक नई परंपरा की शुरुआत की जाए, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक बने?
इस अनोखी शादी ने यह साबित कर दिया कि अगर सोच बदली जाए, तो बड़े बदलाव संभव हैं. यह पहल समाज को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने की एक छोटी, लेकिन प्रभावशाली कोशिश है.
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