लखनऊ। उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) मदरसों के खिलाफ काम कर रहा है। मौका मिलते ही मदरसों पर आरोप लगाते हैं। SC ने एनसीपीसीआर के मंसूबों को नाकाम कर दिया है।
यूपी बोर्ड अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद ने कहा कि मुस्लिम समाज के बच्चे संस्कृत स्कूलों में पढ़ते हैं। हिंदू समाज के बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं। मैं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पढ़कर यहां तक पहुंचा हूं। अभिभावक अपनी मर्जी से अपने बच्चों को पढ़ाते है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के केंद्र में हिंदू मुसलमान करना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आज (21अक्टूबर) को सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों को फंडिग रोकने की NCPCR की सिफारिश पर रोक लगा दी है। साथ ही गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के बच्चे को सरकारी स्कूल भेजने पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। तीन जजों की इस बेंच ने एनसीपीसीआर की सिफारिश पर कार्रवाई करने से मना कर दिया।
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NCPCR ने जताई थी चिंता, धनराशि रोकने का किया था आह्वान
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई थी। सरकार की ओर से दी जाने वाली धनराशि को रोकने का आह्वान किया था। इस मामले में आज सुनवाई करते हुए NCPCR की इस सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
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