UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार खत्म होने के साथ ही शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे चल रही है. रुझानों के साथ ही एग्जिट पोल्स पर मुहर लगती दिख रही है. इसी मुहर के साथ उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे पॉलिटिकल किस्से भी हैं, जिनपर अब फुल स्टॉप लग जाएगा, यानी कुछ नए रिकॉर्ड बन जाएंगे. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में नया इतिहास भी रच देंगे.

पांच साल सरकार चलाने के बाद दोबारा सीएम बनने का रिकॉर्ड

आजादी के बाद से अब तक कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अगले चुनावी नतीजों के बाद मुख्यमंत्री नहीं बन पाया. अगर योगी सरकार वापसी करती है तो योगी आदित्यनाथ यह रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लेंगे.

टूटेगा नोएडा का मिथक

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मिथक हमेशा से चर्चा में रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी अगले चुनाव में चली जाती है. नोएडा से जुड़े इस अंधविश्वास का खौफ नेताओं में इतना अधिक रहा है कि अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी नोएडा नहीं आए. उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी नोएडा से दूरी बनाए रखी. 2007 से 2012 के बीच मायावती ने इस मिथक को तोड़ने की और दो बार नोएडा गईं. लेकिन 2012 में उनकी सरकार गिर जाने के बाद नोएडा का ये मिथक फिर चर्चा में आ गया. वहीं दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल के दौरान कई बार नोएडा गए. ऐसे में अब ये मिथक भी टूटता दिख रहा है. 

15 साल बाद कोई विधायक बनेगा मुख्यमंत्री

जीत की ओर बढ़ती भाजपा ने पूरा चुनाव योगी आदित्यनाथ के काम पर लड़ा है. अगर योगी दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो 15 साल के बाद कोई विधायक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा. 2007 में मायावती, 2012 में अखिलेश यादव और फिर 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. तीनों विधान परिषद के रास्ते ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए. 

आंकड़े बता रहे… वोटिंग बढ़ी तो जीत का मार्जिन बढ़ गया

गोरखपुर शहरी सीट पर 1989 से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. 2002 में टिकट बंटवारे को लेकर योगी आदित्यनाथ और पार्टी के नेताओं के बीच अनबन हो गई थी. तब योगी आदित्यनाथ ने इस सीट से अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के टिकट पर डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को चुनाव लड़ाया था. अग्रवाल जीते भी थे. हालांकि, 2007 से डॉ. राधा मोहन भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार चुनाव जीते.

अगर पिछले 45 सालों के आंकड़ों का एनालिसिस करें तो जब-जब वोटिंग बढ़ी है, इसका फायदा भाजपा को ही मिला है. मतलब वोटिंग अधिक होने पर भाजपा की जीत का मार्जिन भी बढ़ जाता है.