विक्रम मिश्र, लखनऊ। 2022 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने अपना कुनबा तो खूब बढ़ाया जिसका फायदा भी चुनावों के दौरान भाजपा और उसके सहयोगियों को मिला था। लेकिन अब इस कुनबे को संभाल पाना भाजपा के लिए आसान नही है। विधानसभा चुनाव में लगभग डेढ़ साल का वक़्त बचा हुआ है लेकिन सहयोगी दलों ने अभी से दबाव की राजनीति करना शुरू कर दिया है।

अरविंद राजभर ने दिया बड़ा बयान

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महासचिव और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर के पुत्र अरविंद राजभर ने एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ जब सुभासपा का “अलायन्स” था तब उनको 15 सीटें सपा ने चुनाव लड़ने के लिए दिए थे। ऐसे में भाजपा के साथ भी विधानसभावार बातचीत चल रही है कि वो इससे ज़्यादा सीट सुभासपा को दे। इसी प्रकार से राष्ट्रीय लोकदल ने भी प्रदेश सरकार में अपने कोटे से एक मंत्री और बनाने का दबाव बना रही है।

READ MORE : 2027 के रण के लिए सपा ने बनाई रणनीति, भाजपा के लिए मुश्किल, युवाओं को जोड़ने की चलेगी मुहिम

भाजपा के लिए राह आसान नहीं

वक्फ बिल के पास होने के बाद से भाजपा की सहयोगी दलों में मुस्लिम वोटों को संजो कर रख पाने की चुनौती है। जबकि लगातार इस बिल के विरोध में सहयोगी दलों के मुस्लिम नेता अपना इस्तीफा दे रहे है। ऐसे में भाजपा को सहयोगी दलों का साथ कितना मिलेगा ये समय बताएगा।

READ MORE : काशी को मिलेगी करोड़ों की सौगात, वाराणसी आएंगे पीएम मोदी, सुरक्षा व्यवस्था के किए जा रहे पुख्ता इंतजाम

बागी नेता भी बने चुनौती

समाजवादी पार्टी समेत रालोद और सुभासपा के तमाम बागी विधायक और बड़े नेता लगातार दिल्ली की परिक्रमा कर रहे हैं। जिससे कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी सीट सुरक्षित रहे। अयोध्या के गोसाईगंज सीट से बाहुबली विधायक अभय सिंह की मुलाकात अमित शाह से हो चुकी है। जबकि सुभासपा नेता और लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अरविंद राजभर भी दिल्ली से मिले आश्वासन के आधार पर पार्टी की रूपरेखा तैयार कर रहे है। ऐसे में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए सबको साधकर 2027 की बैतरणी पार कर पाना मुश्किल ही नज़र आ रहा है।

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें