लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में हुए पुराने तबादलों का क्रियान्वयन कोरोना काल में करने को गलत माना और स्थानान्तरणों के क्रियान्वयन को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने यूपी के अलग-अलग जिलों में पुलिस विभाग के निरीक्षकों, दरोगाओ, हेड कान्सटेबिलो व कान्सटेबिलो के विगत वर्षों में एक जिले से दूसरे जिले में किए गए तबादलों के अब कोरोना काल में किए जा रहे क्रियान्वयन को रद्द कर दिया है।

प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों बरेली, हाथरस, संभल, गाजियाबाद, कानपुर नगर, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, गौतम बुद्ध नगर, आगरा आदि जिलों में तैनात इन पुलिस कर्मियों ने अलग अलग याचिकाएं दाखिल कर अपने तबादला व कार्यमुक्त किए गए आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यह आदेश जस्टिस अजीत कुमार, जस्टिस शेखर यादव, जस्टिस नीरज तिवारी ने पुलिस कर्मियों की अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया है।

पुलिसकर्मियों के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याचीगणो का तबादला एडीजी जोन/आई रेंज एवं पुलिस मुख्यालय द्वारा वर्ष 2019 में एक जिले में निर्धारित कार्यकाल पूर्ण करने या सीमावर्ती जिले में नियुक्त होने के आधार पर किया गया था। इन याचीगण को वर्ष 2019 में किए तबादलों के आदेश के अनुपालन में अक्टूबर व नवम्बर 2020 कोरोना वायरस महामारी के दौरान सभी सम्बंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों द्वारा कार्यमुक्त किए जाने का आदेश पारित किया गया। अधिवक्ता का कहना था कि कार्यमुक्त करने का आदेश उनके सेवाओं की आवश्यकता देखे बिना पारित किया गया, जो नियम विरुद्ध होने के कारण न्यायसंगत नहीं था।

कोर्ट ने यह आदेश प्रवीण कुमार सोलंकी, बालेन्द्र कुमार सिंह, अखिलेश कुमार, प्रेमावती, यूपी सिंह, उमेश कुमार, असगर अली व कई अन्य पुलिस कर्मियों की याचिकाओं पर पारित किया है। इन याचिकाओं में तबादला आदेशों के साथ-साथ वर्ष 2020 में जारी कार्यमुक्त आदेशों को भी चुनौती दी गई थी। अधिवक्ता गौतम का कहना था कि एक वर्ष पूर्व पारित तबादला आदेशों का क्रियान्वयन अक्टूबर व नवम्बर 2020 में करना गलत था। कोर्ट ने चुनौती दिए आदेशों को रद्द कर दिया है, लेकिन कहा है कि आगे इन पुलिस कर्मियों का तबादला उनके सेवाओं की आवश्यकता को देखते हुए कानून के अनुसार किया जा सकता है।