मथुरा। गर्मियों के प्रचंड ताप को देखते हुए देश के प्रमुख मंदिरों में भगवान की सेवा में मौसमी बदलाव किए जा रहे हैं। अब भगवान को भारी रेशमी पोशाकों के स्थान पर हल्के सूती वस्त्र पहनाए जा रहे हैं और भोग में शीतल व तरल पदार्थों को प्रमुखता दी जा रही है। मथुरा के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर और वृंदावन के सुप्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इन दिनों भगवान को सफेद, पीले और हल्के हरे रंग के सूती वस्त्र पहनाए जा रहे हैं।

मौसमी अनुकूलता प्रदान करने का माध्यम

पुजारियों के अनुसार, यह न केवल शास्त्रीय परंपरा के अनुरूप है, बल्कि भगवान को मौसमी अनुकूलता प्रदान करने का माध्यम भी है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में इन दिनों भगवान को हल्के सूती वस्त्रों से श्रृंगारित किया जा रहा है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, गर्मी में भगवान को रेशमी या भारी वस्त्रों के स्थान पर पतले, सफेद या पीले रंग के सूती वस्त्र पहनाना शास्त्रों के अनुसार भी उचित माना गया है।

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भोग में भी परिवर्तन साफ देखा जा सकता है। भगवान को अब ठंडाई, मठा, लस्सी, कैरी का पना, मौसमी फल, खीरे का रायता, और ताजगी प्रदान करने वाले अन्य खाद्य पदार्थ अर्पित किए जा रहे हैं। इन भोगों को भक्तों के बीच भी प्रसाद के रूप में वितरित किया जा रहा है, जिससे वे भी गर्मी में राहत महसूस कर सकें। देशभर के कई मंदिरों में यह परंपरा अब तेजी से अपनाई जा रही है, जहां श्रद्धालु भी आनंदपूर्वक भगवान की ‘शीतल सेवा’ में सहभागी बन रहे हैं।