प्रयागराज. धर्मांतरण मामले के मास्टरमाइंड मौलाना उमर समेत 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. NIA की कोर्ट ने ये निर्णय दिया है. धार्मिक उन्माद फैलाकर देशभर में अवैध धर्मांतरण रैकेट चला रहे मौलाना उमर गौतम सहित अन्य 4 आरोपियों को यूपी ATS ने दोषी करार दिया है. एनआईए कोर्ट ने 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 20 जून 2021 को धर्मांतरण का केस दर्ज हुआ था. इस मामले में 4 दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है. जिसमें मन्नू यादव, राहुल भोला, मो.सलीम और कुणाल अशोक का नाम शामिल है.
बता दें कि मोहम्मद उमर गौतम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का रहने वाला है. उसका जन्म एक हिंदू राजपूत परिवार में 1964 में हुआ था. इस्लाम धर्म अपनाने से पहले उसका नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम हुआ करता था. पिता का नाम का नाम धनराज सिंह गौतम है. वो 6 भाई हैं, जिनमें उमर का चौथा नंबर है. घर में उसे बचपन से ही प्रधानजी के नाम से पुकारा जाता था. खास बात ये है कि गौतम के फतेहपुर के गांव में न तो उस समय किसी किसी मुस्लिम का घर था और न ही कोई मस्जिद थी.
नैनीताल में की पढ़ाई
श्याम प्रताप सिंह गौतम अपनी शुरुआती पढ़ाई फतेहपुर में अपने गांव से करने के बाद इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद गए और उसके बाद बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए नैनीताल में दाखिला लिया और कॉलेज के हॉस्टल में रहने लगे. बीएससी के फाइनल एयर में उनके पैर में चोट लग गई, जिसके बाद उनके हॉस्टल के कमरे के पड़ोस में रहने वाले नासिर खान ने उनकी सेवा की.
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नैनीताल में गौतम ने इस्लाम धर्म अपनाया
नासिर खान बिजनौर के रहने वाले थे और वो भी उसी दौरान नैनीताल कॉलेज में पढ़ रहे थे. नासिर खान अपनी साइकिल से श्याम प्रताप गौतम को बैठाकर डॉक्टर के यहां इलाज के लिए ले जाया करते थे. इस तरह से उनके बीच दोस्ती काफी गहरी हो गई. नासिर खान हर मंगलवार को गौतम को मंदिर भी ले जाया करते थे. इस तरह से दोनों लोगों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया और नासिर खान ने उन्हें तमाम इस्लामिक किताबें पढ़ने के लिए दीं. यह सिलसिला डेढ़ से दो साल तक चला.
1984 में नैनीताल में अपनाया था इस्लाम
इसी कड़ी में गौतम ने कुरान भी पढ़ी, जिसके बाद उन्होंने अपना धर्म बदलने का फैसला किया. साल 1984 में नैनीताल में ही एमएससी की पढ़ाई करते हुए उन्होंने हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म अपना लिया. धर्मांतरण करने के बाद श्याम प्रताप गौतम से उन्होंने अपना नाम मोहम्मद उमर गौतम रख लिया. इसके बाद से उन्होंने अपने कॉलेज और हॉस्टल में धर्म बदलने की बात को सार्वजनिक कर दिया. बाद में उमर गौतम ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से इस्लामिक स्टडीज में एमए किया.
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दिल्ली में इस्लामिक दावा सेंटर बनाया
इसके बाद से उमर गौतम देश और दुनिया तमाम जगहों पर जाकर इस्लाम पर व्याख्यान देने लगे. वो खुद इन जगहों पर अपनी ये कहानी सुनाया करते थे और वहां मौजूद लोगों को इस्लाम धर्म कबूलने को कहते थे. इस्लाम धर्म में एंट्री करने के बाद उन्होंने इस्लामिक दावा सेंटर स्थापित किया, जो दिल्ली के जामिया नगर के बटला हाउस इलाके की नूह मस्जिद के पास है. इस सेंटर के जरिए वो दूसरे तमाम धर्म के लोगों को जो इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने का काम करते थे.
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