लखनऊ. कोरोना की दूसरी लहर सबसे घातक साबित हो रही है. उत्तर प्रदेश में कोरोना कहर बरपा रहा है. कोरोना की चपेट में आम आदमी से लेकर खास लोग भी आ रहे हैं. यहां के नेताओं के लिए तो संक्रमण काल बन गया है. कोरोना ने एक साल में बीजेपी के 8 विधायकों की जान ले ली है. वहीं पिछले 15 दिनों के भीतर 4 विधायकों का कोरोना से निधन हो गया. 17वीं विधानसभा में अबतक 13 सदस्यों की मृत्यु हो गई.

पिछले साल पहली लहर ने 17वीं विधानसभा के कई दिग्गजों को निगला तो दूसरी लहर भी बेहद घातक साबित हो रही है. बीते 15 दिन में कोरोना वायरस से संक्रमित भारतीय जनता पार्टी के चार विधायकों ने दम तोड़ा है. इनमें औरैया के रमेश चंद्र दिवाकर व लखनऊ पश्चिम से विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव का एक ही दिन 23 अप्रैल को निधन हो गया. इसके बाद 28 अप्रैल को केसर सिंह गंगवार और शुक्रवार को दल बहादुर कोरी की भी कोरोना से मौत हो गई. पिछली लहर में कानपुर देहात के घाटमपुर की विधायक व पूर्व मंत्री कमल रानी वरुण, अमरोहा के सदर सीट विधायक व कबिनेट मंत्री के चेतन चौहान, जौनपुर के मल्हनी के विधायक पारसनाथ यादव और देवरिया सदर के विधायक जन्मेजय सिंह का कोरोना से निधन हुआ.

इनके अलवा प्रदेश में 17 वीं विधानसभा के सदस्य जगन प्रसाद गर्ग आगरा सदर (आगरा), मथुरा प्रसाद पाल, सिकन्दरा (कानपुर देहात), रामकुमार वर्मा पटेल निघासन (लखीमपुर खीरी) लोकेंद्र सिंह नूरपुर (बिजनौर) और वीरेंद्र सिंह सिंह सिरोही सदर (बुलंदशहर) की कोरोना से नहीं बल्कि अन्य वजह से हो गई. कुल मिला कर अब तक 17 वीं विधानसभा में 13 सदस्यों का निधन हो गया.

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यूपी विधानसभा में अब चार सीट रिक्त हैं, लेकिन इन पर कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए उपचुनाव करा पाना मुश्किल होगा. इसके बाद 2022 फरवरी में 18 वीं विधानसभा के लिए आम चुनाव होना है, जिसमें 9 महीने ही बचे हैं. ऐसे में उपचुनाव के आसार काफी कम ही हैं. वैसे नियमानुसार सीट रिक्त होने के छह महीने में ही चुनाव कराने का नियम है. अब चुनाव कराने या न कराने का निर्णय चुनाव आयोग को ही करना है. इस प्रकार इन सीटों पर उपचुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी है.