मथुरा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कृष्ण नगरी वृंदावन में आस्था का सैलाब उमड़ा। शनिवार सुबह से ही पंचकोसीय परिक्रमा मार्ग पर भक्तों की भारी भीड़ जुटी, जो राधे-राधे और बांकेबिहारी के जयकारों से गूंजती रही।
जगह-जगह लगा सेवा शिविर
भक्तों ने ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन के बाद परिक्रमा शुरू की। जिससे पूरा मार्ग मानव श्रृंखला में तब्दील हो गया। सामाजिक संस्थाओं ने जगह-जगह सेवा शिविर लगाकर पेयजल, फल आदि का वितरण किया। हालांकि, वाहन प्रतिबंध न होने से परिक्रमार्थियों को कुछ असुविधा भी हुई। ज्योतिषाचार्य पं. रामविलास चतुर्वेदी ने बताया कि देवउठनी एकादशी पर पेय पदार्थ का दान और नि:स्वार्थ सेवा भगवान विष्णु को प्रसन्न करती है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को ही भगवान विष्णु अपने योगनिद्रा से उठते है ऐसे में इस दिन को देवोत्थान और देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से सनातन धर्म में सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है। सनातन धर्म में इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है।
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