लखनऊ। मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सिंगोली थाना क्षेत्र अंतर्गत नीमच सिंगोली मार्ग स्थित गांव कछाला के समीप जैन मुनियों के साथ मारपीट की गई। घटना रविवार रात की है जब सिंगोली से नीमच जा रहे तीन जैन मुनि हनुमान मंदिर में विश्राम कर रहे थे। इसी दौरान छह बदमाश वहां पहुंचे। उन्होंने मुनियों से पैसे और सामान की मांग की। मुनियों ने बताया कि उनके पास कुछ नहीं है। इस पर बदमाशों ने मुनियों के साथ मारपीट शुरू कर दी। घटना से क्षेत्र में तनाव का माहौल है। घटना को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि शांतिप्रिय जैन समाज के मुनियों के ऊपर ये घातक हमला क्यों हुआ और सब कुछ त्याग चुके इन मुनियों से भला किसको क्या हासिल होना था।

देश में अल्पसंख्यक होना अभिशाप

अखिलेश ने कहा कि वर्तमान समय में देश में अल्पसंख्यक होना एक अभिशाप बनता जा रहा है। आज अल्पसंख्यक जैन समुदाय के मध्य भय, असुरक्षा और अनिश्चितता की जो भावना व्याप्त है, वो अत्यधिक चिंता का विषय है। जिसकी चर्चा, निंदा और आक्रोशपूर्ण प्रतिक्रिया संपूर्ण विश्व में हो रही है। यदि मप्र के सिंगोली थाना क्षेत्र में एक मंदिर के प्रांगण में जैन मुनियों पर हुआ हिंसक हमला शारीरिक हमले की श्रेणी में आता है, तो जबलपुर में भाजपाई और उनके संगी-साथी के बीच लीक हुए टेलीफ़ोनिक ऑडियो में जैनियों के बारे में की गयी बेहद दुर्भावनापूर्ण-आपत्तिजनक टिप्पणियाँ एक वाचिक हमला रहा और मुंबई में जैन मंदिर के ध्वस्तीकरण और जैन तीर्थंकरों की मूर्तियों, जिनवाणी व अन्य पूजनीय ग्रंथों और शास्त्रों का निर्वासन और निरादर बेहद गंभीर और घोर निंदनीय कुकृत्य की श्रेणी में आएगा।

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जैनियों के तीर्थस्थलों, मंदिरों के साथ विद्वेषपूर्ण घटनाएं

सपा मुखिया ने कहा कि आख़िर ये क्यों होता है कि जहां-जहां भी भाजपा सरकारें हैं, वहां-वहां जैनियों के तीर्थस्थलों, मंदिरों, जिनालयों, चैत्यालयों, समाजसेवी संस्थानों और समाज के साथ ऐसी विद्वेषपूर्ण घटनाएं हो रही हैं। भाजपा समर्थित एक ऐसा बहुत बड़ा वर्ग है, जो जैनियों की धार्मिक, सार्वजनिक, व्यापारिक-व्यावसायिक ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत संपत्तियों पर भी आँख गड़ाए बैठा है और जैनियों को अल्पसंख्यक ही मानकर उनसे उनका सब कुछ छीन लेना चाहता है। चाहे भाजपा शासित गुजरात में ‘श्री गिरनार जी’ के मंदिर पर क़ब्ज़े का प्रकरण हो या सम्मेद शिखर जी’ पर केंद्र की भाजपा सरकार का आपत्तिजनक हस्तक्षेप या फिर ⁠कुछ साल पहले भाजपा राज में ही उप्र के बागपत-बड़ौत के एक जैन कॉलेज की वो घटना जिसमें जैनियों की पूज्य ‘श्रुतिदेवी’ की प्रतिमा स्थापित करने का उग्र विरोध भाजपाई संगी-साथियों ने किया था या फिर

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हमारे धर्म की और हमारी रक्षा कौन करेगा?

अखिलेश ने बताया कि मप्र के नीमच में एक बुजुर्ग जैन 65 वर्षीय ‘भंवरलाल जैन’ को भाजपा सत्ता समर्थित एक प्रभुत्वशाली व्यक्ति द्वारा थप्पड़ मार-मारकर मार डालने की वीभत्स घटना। ये सब कुछ जैन समुदाय के उत्पीड़न के ही मामले हैं। ये तो वो घटनाएं हैं जो प्रकाश में आकर उजागर हो गयीं नहीं तो न जाने ऐसे कितने प्रकरण हैं, जहां जैन समाज को प्रताड़ित करने का काम वर्चस्ववादी ताकतें हमेशा करती रही हैं। जैन समाज आज भाजपा से पूछ रहा है कि भाजपा की निगाह में हमारा महत्व क्या सिर्फ़ चंदा देने तक सीमित है, हमारे धर्म की और हमारी रक्षा कौन करेगा? जब हम दबाव डालते हैं तो हर बार बाद में माफ़ी माँगने का नाटक किया जाता है। मंदिर को दुबारा बनाने से मूर्तियों, पूजनीय पुस्तकों और जैन समाज-समुदाय का जो अपमान हुआ है, क्या वो वापस आएगा?

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जैन समाज याद रखे, भाजपाई किसी के सगे नहीं हैं

सपा मुखिया ने कहा कि एक अनुकरणीय आदर्श आचार-सहिंता के रूप में जैन समाज का भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति, शिक्षा, सदाचार, समाजसेवा, जीवन मूल्यों पर आधारित ‘जियो और जीने दो’ का महान संदेश देने वाला सहनशीलता व क्षमाशीलता सिखानेवाला मानवीय व्यवहार व समस्त प्राणियों के प्रति करुणा, प्रेम और अहिंसा का सह अस्तित्वकारी सिद्धांत और साथ ही अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में जो सर्वाधिक अनुपातिक असीम योगदान है, वो अतुलनीय है। सत्ताधारी भाजपाइयों द्वारा की गयी ऐसी हतोत्साहित करनेवाली घटनाएं जैन समुदाय को चाहकर भी कमज़ोर नहीं कर पाएंगी क्योंकि वो अल्पसंख्यक के रूप में उस 90% जनसंख्या का हिस्सा हैं, ‘पीडीए’ के समेकित रूप में, जिनकी रक्षा-सुरक्षा और एकजुटता का संकल्प हम सबने लिया है। इस कठिन समय में हम सब जैन समाज के साथ हैं। जैन समाज याद रखे, भाजपाई किसीके सगे नहीं हैं।

मुनियों पर हिंसक हमला घोर निंदनीय

मप्र के नीमच में एक मंदिर में विश्राम कर रहे अल्पसंख्यक जैन समाज के मुनियों पर हिंसक हमला घोर निंदनीय है। इस मामले की गहरी जांच हो न कि दिखावटी कार्रवाई और इस दुर्भावनापूर्ण कुकृत्य के पीछे की असली मंशा जगज़ाहिर हो कि शांतिपूर्ण जैन समाज के आदरणीय-सम्मानीय मुनियों के ऊपर ये घातक हमला क्यों हुआ और सब कुछ त्याग चुके इन मुनियों से भला किसको क्या हासिल होना था। ऐसी हिंसक वारदातों से एक पंथ निरपेक्ष देश के अंदर अल्पसंख्यक समुदाय में भय का वातावरण बनता है और वो असुरक्षित महसूस करता है। इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है और एक उद्यमशील, शांतिप्रिय, अहिंसक, शिक्षित समाज-समुदाय हतोत्साहित होता है, जिसका देश के सामाजिक तानेबाने और चतुर्दिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।