लखनऊ. अखिलेश यादव ने सरकार पर भष्ट्राचार पर आरोप लगाया है. साथ ही बाढ़ को लेकर भी सरकार को घेरा है. अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में इन दिनों बाढ़ से हाहाकार मचा है. बाढ़ से 22 जिलों में हालत बहुत खराब है. गंगा, यमुना, राप्ती, सरयू, घाघरा नदियां उफनाई हुई है. बाढ़ की चपेट में तमाम लोग अपनी जान भी गंवा बैठे हैं. मुख्य मार्गों से कटे इलाकों में लोग बहुत सी परेशानियों से जूझ रहे हैं. खाने-पीने के सामान का संकट के साथ दवा-इलाज के लिए भी लोग तरस रहे हैं. पशुओं की हालत तो और भी ज्यादा खराब है. उनके चारे की भी दिक्कत आ रही है. सरकार का कहीं कोई प्रबंध नहीं नजर आता है. लगता है कि पूरी सरकार मठ में विश्राम करने चली गई है. जनता कराह रही है, मुख्यमंत्री जी दौरा करने में लगे हैं. बाढ़ से पीडितों की और उनका ध्यान नहीं जा रहा है. अब जनता 2027 के चुनावों में उनकी इस बेरूखी का करारा जवाब देने का मन बना चुकी है.
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आगे अखिलेश यादव ने कहा, उरई में सड़कें पानी से लबालब भरी हुई हैं. बच्चों को दूध तक मयस्सर नहीं. उरई में पहली मंजिल तक पानी भरने से तमाम लोग बेघर हो गए हैं. 100 घरों तक पानी भर गया है. दुकानें बंद हैं. प्रयागराज में 80 हजार प्रतियोगी छात्र लाज-कमरे छोड़कर चले गए हैं. 400 से अधिक लाइब्रेरी बंद हो गई हैं. शहर के 60 मोहल्ले और जिले के 90 गांवो में बाढ़ का पानी है. बाढ़ का पानी घरों के अन्दर बह रहा है. बड़ी संख्या में लोग राहत शिविरो में या रिश्तेदारी में चले गए हैं. यही हाल प्रदेश के तमाम जनपदों का है.
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बदहाल सड़कों के अच्छे दिन आ गए
आगे अखिलेश यादव ने कहा, राजधानी लखनऊ में भी भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. खेतों में पानी भरने से कमजोर पौधों के नष्ट होने की आशंका है. बाजरा, दलहन की फसलों को नुकसान होने से किसान चिंता में हैं. जर्जर मकान गिरने से कई लोग चोटिल हो चुके हैं. बिजली गुल होने से बड़ी आबादी की नींद हराम है. ट्रान्सफार्मर फुंक रहे हैं. करंट की चपेट में आने से कई मौतें हो चुकी है. बिजली विभाग निरंकुश है. बाढ़ में सच पूछिए तो बदहाल सड़कों के अच्छे दिन आ गए हैं. तमाम सड़के उखड़ गई हैं. जगह-जगह गड्ढों से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं और भीषण जाम लग रहा है. एयरपोर्ट से बनी तक सड़क सबसे ज्यादा खराब हैं.
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बाढ़ पीड़ितों की सुध लेने वाला कोई नहीं
सरकार सड़कों के गड्ढे भरने के लिए बड़ी धनराशि खर्च करने का दावा कर चुकी है. पर काम होने के बजाय बजट का भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका. सड़के उखड़ने लगीं, गड्ढे जनलेवा हो रहे हैं. वाहन चालकों को हमेशा दुर्घटना ग्रस्त होते रहने का भय सताता रहता है. बाढ़ पीड़ितों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. भाजपा सरकार अपनी ही आंतरिक खींचतान में उलझी हुई है. बाढ़ पीड़िता कई जगह फंसे हैं. उन्हें तुरन्त राहत की जरूरत है. भोजन, पानी, दवा की व्यवस्था करना शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी है.
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