इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा की वापसी का विरोध किया औऱ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कड़ी आपत्ति जताई. बार एसोसिएशन का कहना है कि हम कोई कूडादान नहीं हैं. साथ ही बार एसोसिएशन ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर चिंता जाहिर की है. यह मामला न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

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बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आग लगी थी. जिसके बाद उनके परिवार के सदस्यों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया. आग बुझाने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में पुलिस और दमकल कर्मियों को भारी मात्रा में कैश मिला. जिस वक्त आग लगी तब जस्टिस वर्मा शहर में नहीं थे.

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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की है. CJI संजीव खन्ना की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनको फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने भारी मात्रा में कैश बरामद होने पर चिंता जाहिर की है.

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कॉलेजियम के सदस्यों का मानना ये भी है कि अगर जस्टिस यशवंत वर्मा का सिर्फ तबादला किया गया तो न्यायपालिका की छवि पर बुरा असर पड़ेगा. कॉलेजियम के सदस्यों का कहना ये भी है कि जस्टिस यशवंत वर्मा से इस्तीफा मांगना चाहिए. इस्तीफा न देने पर उनके खिलाफ संसद में महाभियोग की प्रकिया शुरू करना चाहिए.

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