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प्रयागराज. उत्तर प्रदेश सरकार की आकड़ों की बाजीगरी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कोविड प्रबंधन पर हर जिले में 48 घंटे के अंदर तीन सदसीय समिति बनाने का निर्देश दिया है. इस समिति में एक सदस्य CJM/Judicial ऑफिसर होंगे. वहीं दूसरे और तीसरे सदस्य को जिले के सीएमओ और जिलाधिकारी चुनेंगे.
हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है कि इस समिति का गठन अगले 48 घंटे में हो जाना चाहिए. चुनाव के दौरान जिन शिक्षा मित्रों, कर्मचारियों, अध्यापकों की चुनाव कार्य के दौरान करोना से मृत्यु हुई है. उन्हें 1 करोड़ रूपए मुआवजा देने पर इलेक्शन कमीशन और राज्य सरकार विचार करे.
जस्टिस सिद्दार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश में कोरोना के प्रबंधन और उससे जुडी समस्याओं पर दाखिल एक PIL की सुनवाई करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव (गृह ) बद्गू देवा पॉलसन द्वारा दाखिल जवाब में कबूला है की सरकार ने टेस्टिंग कम कर दी है और दवाओं की उपलभ्ता के बारे में स्पष्ट तौर पर कोई विवरण नहीं दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा की सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में जिले वार जारी होने वाली “हेल्थ रपट” भी कही उपलब्ध नहीं है और न इसके अद्यतन पर सरकार कोई निगरानी नहीं रख रही है.
हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारिख 17 मई तय करते हुए राज्य सरकार से बहराइच, बाराबंकी, बिजनोर, जौनपुर और श्रावस्ती के बारे में कोविद सम्बंधित्र सभी सुवधाओं का ब्यौरा मांगा है. इसी के साथ कोर्ट ने सरकार से मेरठ और वाराणसी में डॉक्टरों द्वारा एक मरीज के अस्पताल से गायब होने और अन्य विषयों पर प्रसारित खबरों का संज्ञान लेने को कहा है.
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कोर्ट ने दो अन्य आदेश पारित करते हुए कहा कि लखनऊ के सन अस्पताल पर लखनऊ के जिलाधिकारी द्वारा जो कार्यवाही की गई है, उसपर जिलाधिकारी अगली सुनवाई की तिथि तक अपना जवाब दें. साथ ही जस्टिस वीके श्रीवास्तव की SGPGI लखनऊ में हुई मृत्यु की जांच के लिए एक तीन सद्स्य्यों की समिति बनाने का निर्देश दिया है.
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