प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की इलाहबाद हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी से नौकरी पाने वाले कर्मचारी को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। कर्मचारी ने 27 वर्षों तक अनुकंपा नियुक्त के रूप में काम किया था। यह फैसला उन मामलों में एक स्पष्ट संदेश है। जहां धोखाधड़ी के आधार पर नौकरी प्राप्त की जाती है।
शून्य घोषित करने का आदेश बरकरार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नियुक्ति की तारीख से यानी 31.03.1998 से उसकी नियुक्ति को शुरू से ही शून्य घोषित करने के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि जिसने धोखाधड़ी के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की है, वह इस आधार पर किसी भी लाभ का दावा नहीं कर सकता कि उसने 27 वर्षों तक काम किया है।
READ MORE: वाराणसी के होटल में छापा: पुलिस को देख भागीं रशियन युवतियां, 4 आपत्तिजनक हालत में पकड़ी गई
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कहा कि धोखाधड़ी ऐसी नियुक्ति से उत्पन्न होने वाले सभी अधिकारों को शून्य कर देती है। क्योंकि यह अधिनियम को शुरू से ही शून्य बना देती है और याचिकाकर्ता… जिसने धोखाधड़ी के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की है। इस आधार पर किसी भी लाभ का दावा नहीं कर सकता कि उसने 27 साल तक काम किया है।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें

