उमंग अग्रवाल, कानपुर देहात. प्रदेश सरकार भले ही प्रदेश में सुशासन और न्याय व्यवस्था की बातें करती नजर आती हो, लेकिन अधिकारियों की कार्यशैली के आगे सरकार की नीतियां व दलीलें बौनी साबित होती हैं. वही कानपुर देहात के भोगनीपुर तहसील के अंतर्गत आने वाला दुधनिया पुर अचानक से आज चर्चा का विषय बन गया चर्चा ऐसी कि जिसे सुनकर हजारों का जमावड़ा लग गया. इस गांव में एक शख्स खुद की कब्र खोदकर अपने आप को जिंदा दफन करने पर अमादा था, जिसे देखकर पूरा गांव हैरत में था.

एक युवक जमीन को लगातार खोद रहा है. वहीं एक बुजुर्ग महिला इस इंसान को वापस चलने के लिए मना रही है, लेकिन वहीं जमीन में खुदाई करता यह शख्स उस महिला से हाथ जोड़कर गुहार लगा रहा है कि तुम यहां से चले जाओ. दरअसल यह तस्वीर कानपुर देहात के भोगनीपुर तहसील के दुधनियापुर गांव की है. जहां यह शख्स गांव के ही कब्रिस्तान को खोद रहा है. जमीन को खुद का यह शख्स असल में अपने जीते जी अपनी ही कब्र खोदकर तैयार कर रहा है. पूछने पर पता चला तो माजरा बहुत ही अजीबोगरीब निकला कानपुर देहात का रहने वाला यह शख्स इसरारूल हसन अपने जीते जी अपनी ही कब्र खोदने को अमादा था.

वजह पूछने पर पता चला की पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के चलते यह शख्स इतना टूट चुका था कि इसने अपने आप को जिंदा जमीन में दफन करने का फैसला कर लिया. अगर इसे दूसरी भाषा में बोले तो एक शख्स जिंदा रहते हुए समाधि लेने का फैसला कर चुका था. गांव में इस शख्स को और इसके अजीब फैसले से गांव में मजमा लग चुका था. देखने वालों की निगाहें कब्रिस्तान में टिकी थी और सवाल हर निगाह में लगाता उठ रहे थे. बता दें कि मामला यह है कि भोगनीपुर तहसील का रहने वाला यह शख्स पिछले कई दिनों से शासन प्रशासन और पुलिस के चक्कर काट रहा था और लगातार अपनी समस्या के लिए समाधान की उम्मीद भी कर रहा था, जिस गांव का रहने वाला था.

दरअसल इसके घर के सामने इसके ही पड़ोसी से इसका आपसी विवाद चल रहा था. जिसमें एक मकान के छज्जे को बनाने को लेकर दोनों ही पक्ष में आपस में विवाद हो गया. दूसरा पक्ष ज्यादा मजबूत होने के चलते निर्माण कार्य को नहीं रोक रहा था. वहीं इजरारुल लगातार भोगनीपुर एसडीएम और नजदीकी देवराहा थाने में गुहार लगा रहा था, लेकिन इसके इसके परिणाम में इसे निराशा ही मिली. जिसके बाद इसने यह फैसला कर लिया, जिसने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए.

सरकारी महकमों की कार्यशैली से परेशान होकर एक शख्स जीते-जागते मौत को गले लगाने को मजबूर हो गया. ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कैसे कोई शख्स अपने आप को जिंदा जमीन में दफन कर सकता है. अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक पीड़ित इंसाफ से महरूम रह जाता है. आखिर अधिकारी इंसाफ के लिए पीड़ितों को उनकी चौखट पर जूतियां रगड़ने को मजबूर कर देते हैं. कानपुर देहात का यह शख्स इस कदर सरकारी महकमे की कारगुजारी ओं से परेशान हो चुका था, जिसने मौत को गले लगाना एक बेहतर विकल्प समझा. हालांकि इस मामले की जानकारी मिलते ही आला अधिकारियों का अमला और पुलिस अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंच गई और इसरार उल को जमीन में समाधि लेने से रोक लिया पीड़ित के साथ-साथ प्रशासन और पुलिस ने विपक्ष के लोगों को भी थाने में बुला लिया.

आत्महत्या हमारे देश में अपराध की श्रेणी में आता है. वहीं एक शख्स समाज में अपने आप को जिंदा जमीन में दफन करने को मजबूर हो गया और तमाशा लोगों के लिए बन गया. हालांकि इस पूरे मामले में पुलिस ने दोषी पक्ष के साथ-साथ पीड़ित पक्ष पर भी मुकदमा लिख दिया है और दोनों ही पार्टी को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है. सवाल यह उठता है पीड़ित ने गुहार भी लगाई और मुकदमा लिखवा कर जेल भी जाए यह शायद उत्तर प्रदेश के ही अधिकारियों की कार्यशैली में शुमार है. अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर पुलिसिया कार्यशैली को आला धिकरी किस नजर से देखते हैं और निचले स्तर पर की गई पुलिस की कार्यवाही से पीड़ित को कितना बचा पाते हैं.