इटावा. सफारी पार्क के बब्बर शेरों के पेट के रोग को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं का सहारा लिया जा रहा है. जिसके लिए सफारी प्रबंधन की ओर से शपथ पत्र भी जारी किया गया है. हालांकि, इससे पहले भी आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं से शेरों का इलाज किया गया था, जिसका फायदा भी हुआ था. इसीलिए इटावा सफारी प्रबंधन ने ये कदम उठाया है.

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बता दें कि यूपी में इन दिनों भीषण ठंड पड़ रही है. ऐसे में ठंड के समय में शेरों को मल त्याग करने में कठिनाई हो जाती है. इन्हीं सभी समस्याओं को देखते हुए सफारी प्रबंधन ने आयुर्वेद का सहारा लिया है. बब्बर शेरों को कब्ज होने की स्थिति में इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक दवाएं देना शुरू कर दिया गया है. ये दवाएं विशेषज्ञ डॉक्टरों के परामर्श पर दी जा रही है.

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इटावा सफारी पार्क के उपनिदेशक विनय सिंह और डॉक्टर डॉ रॉबिन सिंह यादव का कहना है कि शेरों में कभी-कभी कब्ज से (मेगाकोलन) जैसी गंभीर बीमारी पनपती है. जिससे मल त्यागने में उन्हें काफी कठिनाई होती है. शुरुआत में सभी शेरों को कब्ज से निजात दिलाने के लिए मीट के साथ बाजार में उपलब्ध आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं दी गईं. ये दवाएं कब्ज निवारण के लिए ही थीं. शेरनी को मीट के साथ 4-5 टेबलेट और शेर को 5-6 टेबलेट दी गईं. इसके साथ हर शेर-शेरनी को 10 ग्राम प्रोबायटिक्स और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की खुराक भी दी गई. भूख बढ़ाने के लिए पानी में मिलाकर एक सिरप पिलाया गया. 48 घंटे बाद इसका अच्छा असर दिखने लगा. अगले कुछ दिनों में शेर सामान्य रूप से मल त्यागने लगे. शेरों का हाजमा दुरुस्त हो गया. पिछले करीब डेढ़ साल से इस प्रोटोकॉल का शेरों की देखभाल में इस्तेमाल किया जा रहा है.