लखनऊ. उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी खत्म करने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया गया है. राज्य सरकार ने सभी प्राइवेट स्कूलों को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के दायरे में शामिल कर लिया है. अब निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत मांगी गयी जानकारी देने के लिए बाध्य होंगे. राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने आज संजय शर्मा बनाम जन सूचना अधिकारी-मुख्य सचिव उप्र शासन, लखनऊ के मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.

इससे फैसले से प्राइवेट स्कूलों में पारदर्शिता बढ़ेगी. साथ ही अभिभावकों को इच्छित जानकारी मिल सकेगी. ये विद्यालय अब सूचनाएं उपलब्ध कराने में आनाकानी नहीं कर सकेंगे. राज्य सूचना आयुक्त ने उप्र शासन को यह संस्तुति की है. उन्होंने कहा है कि जन सूचनाओं की महत्ता को देखते हुए निजी विद्यालय प्रबन्धकों को भी जन सूचना अधिकारी घोषित करने की व्यवस्था करें.

इस आधार पर दाखिल की याचिका

बताते चलें कि संजय शर्मा ने जन सूचना अधिकारी-मुख्य सचिव, उप्र शासन से राजधानी के दो प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों के विषय में आरटीआई एक्ट के तहत राज्य सूचना आयोग लखनऊ में दूसरी अपील दाखिल की थी. उन्होंने कहा था कि अगर निजी विद्यालयों को स्थापना के लिए रियायती दरों पर विकास प्राधिकरण भूमि उपलब्ध कराते हैं, तो उच्चतम न्यायालय के डीएवी कालेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी एवं अन्य बनाम डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंन्सट्रक्शन एवं अन्य के फैसले के मुताबिक विधि अनुसार ऐसे विद्यालय राज्य द्वारा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित समझे जायेंगे.

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इस बहाने बचते थे निजी स्कूल

दरअसल निजी विद्यालय सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत इस आधार पर सूचना नहीं देते थे कि वे राज्य द्वारा वित्त पोषित नहीं है. इसलिए वे अधिनियम की परिधि से बाहर हैं. आयोग ने इस मामले की सुनवाई में यह भी कहा है कि वर्ष 2009 में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के पारित होने के बाद ऐसे सभी विद्यालय अधिनियम एवं उप्र निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली-2011 के प्रपत्र-1 एवं 2 में लिखी कुछ जानकारी जिला शिक्षाधिकारी को उपलब्ध कराएंगे. ऐसी स्थिति में जिला शिक्षाधिकारी उक्त प्रपत्रों में उल्लिखित सूचनाओं को धारित करते हैं. वे प्रपत्रों में वर्णित समस्त सूचनाओं को आरटीआई एक्ट की धारा-6 (1) के तहत मांगे जाने पर याची को देने के लिए बाध्य हैं.

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