बरेली. ‘मैंने कई बार सोचा कि मैं आत्महत्या कर लूं…क्या कानून और संविधान में सिर्फ महिलाओं के लिए ही है? समाज में पुरुष भी बहुत प्रताड़ित हैं. उनके लिए कोई सहूलियत नहीं है.’ इन सवालों के साथ बरेली के शिवम ने अपनी कहानी सुनाई है. शिवम की कहानी भी AI इंजीनियर अतुल सुभाष जैसी ही है, बस इस कहानी में किरदार अलग हैं. इस कहानी में भी पति, पत्नी और ससुराल वाले शामिल हैं. जहां शिवम पर उसकी पत्नी ने 8 केस लगाए हैं. अब उसकी पत्नी पैसों की डिमांड कर रही है. जिसके बाद शिवम ने एक वीडियो बनाकर अपना दर्द बयां किया है.
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बता दें कि बरेली के थाना प्रेमनगर क्षेत्र के गांधीनगर में रहने वाले शिवम की शादी 8 नवंबर 2019 को नैनीताल की सिद्धि सक्सेना से हुई थी. कुछ दिनों तक शिवम और सिद्धि के बीच सब कुछ ठीक चला, लेकिन एक दिन सिद्धि अपने मायके चली गई. उसके बाद शुरू हुआ प्रताड़ना का खेल. मायके पहुंचने के बाद सिद्धि ने अपने पति शिवम को फोन किया और 20 लाख रुपए की डिमांड की. जब शिवम ने पैसे देने से इंकार किया तो दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाकर फंसाने की धमकी दी.
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केस पर केस
शिवम ने एक वीडियो के जरिए अपनी दर्दभरी कहानी बताते हुए कहा, पत्नी सिद्धि ने उसके और उसके परिवार के खिलाफ बरेली और नैनीताल में 8 केस कर रखे हैं. जिसकी वजह से कभी बरेली तो कभी नैनीताल के कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं. जिसकी वजह से उसने अपनी नौकरी भी छोड़ दी. शादी के कुछ समय से बाद ही पत्नी ने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया था. पत्नी के परिवार वाले उसकी नौकरी लगवाने के नाम से 20 लाख रुपए की मांग करने लगे थे. जिसके बाद मैंने एक रिकॉर्डिंग के आधार पर केस किया था. उस केस में मेरी पत्नी और ससुराल वालों पर चार्जशीट दर्ज हो चुकी है. शिवम ने ये भी कहा कि पत्नी ने मेरे पापा जो कि सेल टैक्स ऑफिसर हैं, उन पर भी रेप और छेड़खानी झूठे मुकदमा किया है.
घर पर किया कब्जा
शिवम ने ये भी कहा कि पत्नी ने जो 8 केस किए हैं, सभी झूठे साबित हो चुके हैं. उसके बाद पत्नी और उसके घरवालों ने परेशान करने के लिए मेरे घर का ताला तोड़ा और कब्जा कर लिया. आए दिन पत्नी और ससुराल वाले केस दर्ज कराकर प्रताड़ित करते हैं. मैंने कई बार सोचा कि मैं आत्महत्या कर लूं, लेकिन मेरे घर वालों और वकील ने समझाया कि ये रास्ता सही नहीं है.
क्या कानून और संविधान में सिर्फ महिलाओं के लिए?
आगे शिवम ने कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या कानून और संविधान में सिर्फ महिलाओं के लिए ही है. समाज में पुरुष भी बहुत प्रताड़ित है. उनके लिए कोई सहूलियत नहीं है.
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